केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को इस फैसले की जानकारी दी और बताया कि यह मिशन पिछले दस वर्षों में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर चुका है। इस दौरान, 2021 और 2022 के बीच लगभग 12 लाख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में शामिल किया गया और कोविड-19 महामारी से लड़ाई में इस मिशन ने अहम भूमिका निभाई। इस मिशन के तहत स्वास्थ्य सेवा के ढांचे को मजबूत किया गया और देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार हुआ है।
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय करने का भी निर्णय लिया है। यह मूल्य पिछले एमएसपी से छह प्रतिशत अधिक है, जो कि 315 रुपये का इजाफा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नया एमएसपी अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत पर 66.8 प्रतिशत का लाभ सुनिश्चित करता है, जिससे जूट उत्पादकों को आर्थिक रूप से फायदा होगा।
कच्चे जूट के एमएसपी में वृद्धि सरकार द्वारा किसानों के हितों की रक्षा के लिए की गई है। 2014-15 में यह एमएसपी 2,400 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब 2.35 गुना बढ़कर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। इस निर्णय से जूट उत्पादकों को उनकी उपज के लिए बेहतर कीमत प्राप्त होगी और उनका आर्थिक संकट कम होगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस बढ़ोतरी से जूट उत्पादकों को लाभ होगा और उन्हें अधिक उत्पादन प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रेरणा मिलेगी।
मंत्रिमंडल के इन फैसलों से स्वास्थ्य सेवा और कृषि क्षेत्र दोनों में महत्वपूर्ण सुधार की संभावना है, जो देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।