संजय मग्गू
बलात्कार महिला के साथ होने वाला ऐसा अपराध है जिसका दंश पीड़िता को जीवन भर भोगना पड़ता है। बलात्कार से महिला का तन ही छलनी नहीं होता है, बल्कि मन भी लहूलुहान हो जाता है। बलात्कार की पीड़ा से पीड़िता कभी मुक्त नहीं हो पाती है। उस पर समाज भी उसका जीना हराम कर देता है। निरपराध होते हुए भी समाज पीड़िता को ही दोषी मानता है। यह समाज की विकृत मानसिकता है। फरीदाबाद के डाबुआ क्षेत्र में साढ़े तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के बाद सूनसान जगह पर छोड़ दिया गयाा। कबाड़ गोदाम के पीछे स्थित खेतों में जब कुछ मजदूर शौच करने के लिए जा रहे थे, तब मजदूरों को बच्ची अधमरी हालत में मिली। छह फरवरी को फरीदाबाद में ही एक कंपनी की बस में महिला के साथ दुराचार किया गया। पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद ड्राइवर और उसके सहायक को गिरफ्तार कर लिया गया। फरीदाबाद में ही छह साल के बच्चे को कोल्ड ड्रिंक पिलाने के बहाने यौन शोषण के दोषी को अदालत ने छह साल की सजा सुनाई है। यह कुछ घटनाएं बानगी भर हैं। प्रदेश में प्रतिदिन महिलाओं के साथ होने वाले अपराध की कोई न कोई घटना सामने आ ही जाती है। महिला के प्रति होने वाले अपराध के मामलों में कुछ साल पहले तक राष्ट्रीय स्तर पर टॉप टेन में रहा करता था। अगर राज्य सरकार के आंकड़ों पर विश्वास किया जाए, तो पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा में सभी तरह के अपराधों में कमी आई है। वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2024 में 14.62 प्रतिशत अपराध के मामले कम पाए गए हैं। जहां तक महिला विरुद्ध अपराध की बात है, दुष्कर्म में 19.24 प्रतिशत, दुष्कर्म के प्रयासों में 43.72 प्रतिशत, छेड़छाड़ में 36.82 प्रतिशत तथा दहेज हत्या में 14 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। महिलाओं के विरुद्ध दुष्कर्म के मामले 1772 से घटकर 1431, दुष्कर्म के 199 से घटकर 112, छेड़छाड़ के 2265 से घटकर 1431 रह गए हैं। एससी/एसटी एक्ट के मामले 1539 से घटकर 995 रह गए। महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के मामले घट रहे हैं, यह एक शुभ संकेत है, लेकिन अभी इस मामले में बहुत कुछ करना बाकी है। हरियाणा में जिस दिन रात में महिलाएं निर्भय होकर घूम सकेंगी, उस दिन सचमुच हम सभ्य नागरिक कहलाने के हकदार होंगे। वैसे, महिलाओं के साथ बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं तभी रुक सकती हैं, जब समाज खुद जागरूक होगा क्योंकि ऐसे अपराध असंगठित अपराध की श्रेणी में आते हैं। ऐसे अपराधों को कोई भी सरकार लाख प्रयास करने के बावजूद नहीं रोक सकती है। कब और कहां कोई व्यक्ति अपने मन में महिला के प्रति कौन सी कुंठा पाले हुए हैं, इसको कोई नहीं जान सकता है।
बलात्कार से देह ही नहीं, पीड़िता की आत्मा तक हो जाती है छलनी
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