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मैंने भी आपकी मातृभाषा का आदर किया

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
नरेंद्र दत्त को भले ही कम लोग जानते हों, लेकिन स्वामी विवेकानंद को लगभग भारत में सभी लोग जानते होंगे। विस्तार से भले ही स्वामी विवेकानंद के बारे में कुछ न बता पाएं, लेकिन इतना तो जरूरत जानते हैं कि वह हमारे देश के संत थे और उन्होंने समाज सुधार की दिशा में बहुत काम किया था। यही स्वामी विवेकानंद की लोकप्रियता का उदाहरण है। नरेंद्र दत्त यानी स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में हुआ था। स्वामी जी के जन्म के एक साल बाद इनके पिता विश्वनाथ दत्त का निधन हो गया था। इसके चलते परिवार को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद स्वामी विवेकानंद ने देश और समाज की उन्नति के लिए प्रयास करना नहीं छोड़ा। जब वह 1893 में शिकागो में हो रही धर्म संसद में भाग लेने के लिए अमेरिका गए तो वहां लोगों ने इनका बहुत स्वागत किया। कुछ लोगों ने इनसे अंग्रेजी में सवाल पूछा, तो स्वामी विवेकानंद ने हिंदी में जवाब दिया। अमेरिका में ज्यादातर लोग अंग्रेजी में बातचीत करते हैं। उनकी मातृभाषा भी अंग्रेजी है। जब स्वामी विवेकानंद ने अंग्रेजी में पूछे गए सवालों का जवाब हिंदी में दिया, तो लोगों ने समझा कि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती है। ऐसी स्थिति में एक व्यक्ति ने उनसे हिंदी में पूछा कि आप कैसे हैं? स्वामी जी ने कहा कि आई एम फाइन एंड थैंकयू। यह सुनकर सब चकित रह गए। लोगों ने कहा कि आपने अंग्रेजी में पूछे गए सवालों का हिंदी में जवाब दिया। हिंदी में सवाल किया, तो अंग्रेजी में जवाब दिया। ऐसा क्यों? स्वामी जी ने कहा कि आपने अपनी मातृभाषा में बात की, तो मैंने भी अपनी मातृभाषा में जवाब दिया। आपने हमारी भाषा का आदर करते हुए हिंदी में पूछा, तो मैंने भी आपकी भाषा का आदर करते हुए अंग्रेजी में जवाब दिया। स्वामी जी का यह जवाब सुनकर लोग बहुत प्रसन्न हए।

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