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छोटी मुसीबत को किसान ने बड़ी समझा

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
जब तक किसी समस्या का सामना न किया जाए, तब तक वह बहुत बड़ी लगती है। सामना किया जाए, तो लगता है कि जिसको हम बहुत बड़ी समझ रहे थे, वह तो बहुत मामूली समस्या लगती है। दरअसल, होता यह है कि जब कल्पना में कोई भी समस्या हो, भयावह ही लगती है। वास्तविकता कुछ अलग ही होती है। इंसान को हमेशा किसी भी समस्या या मुसीबत का सामना करते समय घबराना नहीं चाहिए। समस्या का समाधान तुरंत करना चाहिए ताकि वह छोटी से बड़ी न होने पाए। कुछ लोग पहले से ही समस्या को बड़ी मान लेते हैं जिसकी वजह से बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। इस संबंध में एक किसान की कथा कही जाती है। किसी गांव में एक किसान था। उसके खेत में एक पत्थर गड़ा हुआ था। खेत की जुताई-बोवाई करते समय वह पत्थर कई बार उसके पैर में लग चुका था। पत्थर को देखकर वह यही सोचा करता था कि पत्थर बड़ा है और काफी अंदर तक धंसा हुआ है। यही सोचकर उसने कभी उसे निकालने का प्रयास नहीं किया। एक बार उसके पैर में पत्थर की काफी गहरी चोट लगी। पैर से खून तक निकलने लगा। उसे बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा कि कल गांव वालों की मदद से इस पत्थर को खेत से निकालकर ही दम लेगा। उसने अगले दिन काफी लोगों को खेत में जमा किया। लोगों को देखकर उसने पत्थर को खोदना शुरू किया। दो-तीन बार फावड़ा चलाने पर वह पत्थर बाहर निकल आया। सबने देखा कि वह पत्थर बहुत ही छोटा था। इतने छोटे पत्थर को देखकर लोगों ने कहा कि इस पत्थर को तुम पहले भी निकाल सकते थे। किसान ने कहा कि मैंने सोचा कि यह बड़ा पत्थर होगा, लेकिन यह तो बहुत छोटा निकला। यदि मैं ऐसा जानता तो पहले ही निकाल दिया होता। बार-बार इतनी चोट क्यों खाता?

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