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पाकिस्तान बनने के साथ भड़क उठी थी बलूच में विद्रोह की आग

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संजय मग्गू
पाकिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए ने आज क्वेटा से पेशावर जा रही जफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया है। जफर एक्सप्रेस पर कितने यात्री सवार हैं, इसका कोई निश्चित आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है। कुछ मीडिया संस्थान 180 के आसपास बता रहे हैं, तो कुछ पांच सौ या उससे अधिक। इस मामले में 20 सैनिकों के मारे जाने की भी बात कही जा रही है। यह कालम लिखे जाते समय तक पाकिस्तानी सेना के एयर स्ट्राइक की बात भी कही जा रही थी। जवाब में बलूच ने सभी यात्रियों को मार देने की धमकी दी है। बीएलए बलूचिस्तान में सक्रिय सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुट है। पाकिस्तान के एक प्रांत बलूचिस्तान में विद्रोह की शुरुआत तभी से हो गई थी, जब पाकिस्तान का धार्मिक आधार पर गठन हुआ था। सन 1947 में ही बलूचिस्तान अपना विलय पाकिस्तान में नहीं चाहता था। तत्कालीन बलूच नेताओं ने जब विद्रोह किया, तो सन 1948 में पाक सेना ने इस विद्रोह को बड़ी बर्बरता से दबा दिया था। विद्रोह की यह आग तब से लेकर आज तक सुलग रही है। विद्रोह की यह सुलगती आग कभी शोला बना जाती है, तो कभी चिंगारी के रूप में अंदर ही अंदर धधकती रहती है। और समय आने पर भड़क उठती है। जफर एक्सप्रेस को आज हाईजैक करना कुछ ऐसा ही है। दरअसल, बलूचियों का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का निर्मम दोहन करके अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारना तो चाहती है, लेकिन बदले में बलूचिस्तान का विकास करना नहीं चाहती है। बलूचिस्तान वैसे तो पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन आबादी बहुत कम है। सन 1948 के बाद से ही बलूचिस्तान की जनता पाकिस्तान सरकार पर यह आरोप लगाती आई है कि उनकी गरीबी और बेकारी को दूर करने और शिक्षा के प्रसार के लिए कुछ नहीं किया गया है। बलूचिस्तान के पिछड़ेपन, अशिक्षा, गरीबी, बेकारी और विकास जैसे कई मुद्दों को लेकर 1970 में बलूचियों ने एक बड़ा विद्रोह किया था। लेकिन पाक सेना ने उसे बुरी तरह दबा दिया था। तीस साल तक धीरे-धीरे सुलगती विद्रोह की आग सन 2000 में तब भड़क उठी, जब बलूचिस्तान में भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस और खनिज का भंडार पाया गया। पाक सरकार ने प्राकृतिक गैस और खनिजों का दोहन करने के इरादे से चीन के साथ मिलकर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) बनाने का फैसला लिया। बलूच विद्रोही पाक सरकार की मंशा को समझ गए और उन्होंने बलूचिस्तान से होकर गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का खुलकर विरोध किया। बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे तमाम विद्रोही संगठन चाहते हैं कि बलूच की प्राकृतिक संपदा से उनके क्षेत्र का विकास हो। प्राकृतिक गैस और खनिज से जो कमाई हो, उसे बलूचिस्तान के विकास पर खर्च किया जाए। पाकिस्तान सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।

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