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विदेशी मूल के लोगों से ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का हुआ पर्दाफाश, कॉल सेंटर में काम करने वाले 12 आरोपी गिरफ्तार

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हर्ष खटाना, देश रोजाना
गुरुग्राम। साइबर थाना ईस्ट की टीम ने सुशांत लोक सेक्टर-57 में फर्जी कॉल सेंटर में छापेमारी कर विदेशी नागरिकों को कस्टमर सर्विस देने के नाम पर ठगी करने वाली पांच महिला समेत 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से तीन मोबाइल फोन, 10 लैपटॉप, दो मॉडम व 56 हजार रुपए की नकदी भी बरामद की है। शुक्रवार को एसीपी क्राइम वरुण दहिया ने पत्रकारों को इस बारे में जानकारी दी। एसीपी क्राइम ने बताया कि आरोपी माइक्रोसॉफ्ट में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के नाम पर विदेशी नागरिकों के साथ ठगी करते थे।

एसीपी क्राइम वरुण दहिया ने बताया कि साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जसबीर को सूचना मिली कि मकान नंबर सी-139, सुशांत लोक-3 सेक्टर-57 में एक फर्जी कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा है, जो विदेशी नागरिकों को कस्टमर सर्विस देने के नाम पर ठगी करते हैं। इस सूचना पर एसीपी साइबर क्राइम विपिन अहलावत के दिशा-निर्देश में एक रेडिंग टीम गठित कर कॉल सेंटर में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान इस कॉल सेंटर में फर्जी तरीके से संचालित होना, विदेशी नागरिकों को तकनीकी सहायता देने के नाम पर धोखाधड़ी कर ठगी करना पाए जाने पर पांच महिलाओं सहित कुल 12 आरोपियों को कॉल सेंटर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान हर्षित कश्यप, वरुण दुआ, मनमीत सिंह, राहुल सिंह, पीयूष, सुखमीत सिंह, पारस, शीतल रावत, प्रियंका रावत, ज्योति राय, सलोनी गुप्ता व जयंती राजपूत के रूप में हुई।

तीन पार्टनर चला रहे थे कॉल सेंटर
आरोपियों से पुलिस पूछताछ में बताया कि आरोपी हर्षित कश्यप, वरुण दुआ व मनमीत सिंह कॉल सेंटर के संचालक व साझेदार हैं। ये अपने उपरोक्त साथियों/कर्मचारियों के साथ मिलकर इस कॉल सैंटर को चलाते हैं। अपने सभी कर्मचारियों को सेलरी व कमीशन पर रखा हुआ है। यह कॉल सेंटर जनवरी 2023 से चला रहे हैं। विदेशी नागरिकों को माइक्रोसॉफ्ट की कस्टमर केयर सर्विस प्रदान करने के लिए वर्चुअल टीएफएन नंबर लिए हुए हैं, जो नंबरों पर कॉल करवाते और एक्स-लाइट डायलर के माध्यम से कॉल को रिसीव करते थे।

वहीं विदेशी नागरिकों की कॉल करने पर उनकी समस्या दूर करने के लिए एनिडेस्क, टीम विवर, अल्ट्रा विवर आदि एप्लिकेशन को माध्यम से उसके सिस्टम का रिमोट एक्सेस प्राप्त कर लेते हैं और फिर उनसे अन्य समस्याओं के बारे में बात करते हुए उन्हें वास्तविक/सही बात नहीं बताते और उनकी निजी जानकारी का हैकर्स द्वारा अकाउंट हैक करना, डिवाइस असुरक्षित, फाइनेंसियल इनफार्मेशन लीक व चाईल्ड पोर्नोग्राफी इत्यादि के रिस्क के बारे में उन्हें बताते हुए उस समस्या को दूर करने के नाम पर 100 से 500 डॉलर की ठगी को गिफ्ट कार्ड के माध्यम से जबकि बड़े अमाउंट की ठगी के लिए 3000-5000 डॉलर को ऑनलाइन वायर व बट्स के क्यूआर कोड के माध्यम से वॉलेट मे ट्रांसफर करवा लेते थे।

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