2024 के रण के लिए सभी राजनीतिक दल जीत की रस्साकशी में लगे हुए हैं। लोकसभा चुनाव में लगभग आठ महीने का वक्त बाकी है, ऐसे में आसाम राज्य की राजनीति क्या कह रही है आइए जानते हैं—आसाम के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा का यह दावा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कम से कम 12 सीटें वे जरूर जीतेंगे तो वहीं कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को अपने साथ मिलाकर बीजेपी को शिकस्त देने की पूरी तैयारी में लगी हुई है। विपक्षी गठबंधन इंडिया से पहले कांग्रेस प्रदेश विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में लगी हुई है। इंडिया गठबंधन की तरह ही कांग्रेस 11 क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर एक सीट पर एक उम्मीदवार उतारने का सोच रही है। ऐसा इसलिए ताकि वह बीजेपी को शिकस्त दे सके, हालांकि कांग्रेस से अपनी रणनीति में मौलाना अजमल की अध्यक्षता वाली एआईयूडीएफ को अभी तक शामिल नहीं किया है। साल 2021 में बात की जाए तो विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ गठबंधन की वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था क्योंकि इस चुनाव में सांप्रदायिक मुद्दे भी होते हैं। लेकिन जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक वो विपक्षी एकता वाले इंडिया का हिस्सा बनना चाहता है। क्योंकि उसका यह कहना है उसके पास 15 विधायक है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। आपकों बता दें असम में लगभग 37 फीसदी मुस्लिम वोटर है। इसलिए लोकसभा में 14 में से 5 सीटों पर मुस्लिम मतदाता सीधा असर डालतें हैं। और ऐसे में कांग्रेस की अगुवाई वाला विपक्ष एकजुट हो जाता है तो चुनाव में उसे ही फायदा मिलेगा और बीजेपी की बात की जाए तो उसने भी अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर रखी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आसाम में नौ सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। पूर्वोत्तर राज्य में उसका यह सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जाए अगर असम में परिसीमन की कवायद तो विपक्ष यही सोच रहा है कि परिसीमन ने मुस्लिम बहुल सीटें खत्म कर दी जाएंगी, और उधर राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि मणिपुर हिंसा का असर भी चुनाव पर पड़ेगा।
आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2019 के आम चुनावों में बीजेपी के पास 9 यानी कि 36.05 फ़ीसदी सीटें, कांग्रेस के पास 03 यानी कि 35 दशमलव 44 फ़ीसदी, एआईयूडीएफ 01यानी 7 दशमलव 80फ़ीसदी।
2014 लोकसभा चुनाव बीजेपी 7 यानी कि 36 दशमलव 50 फ़ीसदी, कॉग्रेस 03 यानी कि 30 फ़ीसदी एआईयूडीएफ 03 यानी कि 14 फ़ीसदी। साल 2021 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी 60 यानी कि 33 दशमलव 20 फ़ीसदी, कांग्रेस 29 यानी कि 29 दशमलव 68 फ़ीसदी, एआईयूडीएफ 16 यानी 09 दशमलव22 फीसदी का आकंड़ा रहा।