इसरो के वैज्ञानिकों ने chandrayaan-3 को पृथ्वी की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेजने की योजना बना ली है। आज करीब 12 से 1 के बीच यह भेजा जाएगा। चंद्रयान अभी अंडाकार कक्षा में घूम रहा है, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 किलोमीटर और सबसे ज्यादा दूरी 127609 किलोमीटर है। 5 अगस्त को ही चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचेगा और 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करेगा।
ट्रांस लूनर इंजेक्शन के लिए बेंगलुरु में मौजूद इसरो के हेड क्वार्टर से वैज्ञानिक चंद्रयान का इंजन शुरू किया गया। इंजन फायरिंग पृथ्वी के पास पहुंचने के बाद की जाएगी। ट्रांस लूनर इंजेक्शन के लिए चंद्रयान की स्पीड पृथ्वी की स्कोर वेलोसिटी से ज्यादा होनी चाहिए। पृथ्वी की एस्केप वेलोसिटी 40 27 किलोमीटर है।
chandrayaan-3 में लैंड रोवर और पापुलेशन मॉडल है। लैंडर और रोबोट चांद के साउथ पोल पर इसके 14 दिन बाद वहां प्रयोग करेंगे। पापुलेशन मॉडल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन का अध्ययन करता है। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाया का गीत चांद किस तरह पर कैसे भूकंप आते हैं। ऐसा करने से चंद्रमा की मिट्टी का भी अध्ययन होगा।