डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की रिहाई को लेकर दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। गौरतलब है कि ईडी ने मनी लांड्रिंग केस की जांच में बालाजी को जून के महीने में गिरफ्तार किया था। अब इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस एस बोपन्ना और एमएम सुंदरेष की बेच ने की। ईडी के तर्क पर सुनवाई के दौरान चिंता भी जाहिर की गई कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 167 धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तारी पर लागू नहीं होगी। आपको बता दें कि सीआरपीसी की धारा 167 गिरफ्तार व्यक्ति को संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से संबंधित है जो जजों को कारण दर्ज करने के बाद उनके सामने पेश किए गए आरोपी की रिमांड की तय अवधि निर्धारित करने की पावर देता है।
गौरतलब है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने पहले मंत्री को रिहा करने के खिलाफ फैसला सुनाया था और उसके बाद बालाजी और उनकी पत्नी को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था ईडी ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था कि हाईकोर्ट ने बालाजी की रिमांड के बाद दायर याचिका पर विचार करने में भी गलती की थी और इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ईडी की याचिका के साथ-साथ बालाजी और उनकी पत्नी दोनों की याचिका पर सुनवाई हुई।
बालाजी के खिलाफ पूरा मामला तमिलनाडु परिवहन विभाग में बस कंडक्टर नियुक्ति के साथ-साथ ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियर के नियुक्ति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। जिसमें सेशन कोर्ट की रिमांड के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भी रखा गया था हालांकि जेल भेजे जाने की बजाय उन्हें एक निजी हॉस्पिटल में रखा गया था जहां पर उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी।