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कैंसर पर विजय पाएंगे वैज्ञानिक, अमेरिका में कैंसर दवा का ट्रायल शुरू

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देश रोज़ाना: कैंसर एक ऐसा रोग है। जो एक बार हो जाता है तो उसे सही कर पाना असम्भव हो जाता है। लेकिन अब वैज्ञानिको को इसमें भी कामयाबी मिलती नज़र आ रही है। अमेरिका में कैंसर की AOH1996 नाम की दवा का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। साइंटिस्ट्स का कहना है कि ये दवा शरीर के हेल्दी सेल्स को नुकसान पहुंचाए बिना ही कैंसर ट्यूमर को जड़ से खत्म कर सकती है।

वैज्ञानिको ने दावा किया है कि इस दवा का नाम 1996 में पैदा हुई आना ओलिविया हीली से प्रेरित है। उसे न्यूरोब्लास्टोमा नाम का कैंसर था। 2005 में आना की मौत हो गई थी। वो 9 साल की थी। न्यूरोब्लास्टोमा बच्चों को होने वाला एक कैंसर है।

ये एड्रिनल ग्लैंड्स का कैंसर है, जो पेट, छाती, गले की हड्डियों में विकसित होता है। एक साइंटिस्ट ने कहा- हमने कैंसर खत्म करने वाली नई दवा का नाम AOH1996 नौ साल की आना ओलिविया हीली को श्रद्धांजलि देने के लिए रखा है।

इस ड्रग को 20 साल की रिसर्च के बाद बनाया गया है। ये दवा कैंसर सेल्स में पाए जाने वाले प्रोटीन- प्रोलिफेरेटिंग सेल न्यूक्लियर एंटीजन (PCNA) को टारगेट करती है। इस कैंसर प्रोटीन की वजह से ही शरीर में ट्यूमर फैलता और बढ़ता है। पहले इस प्रोटीन का इलाज नहीं होता था, लेकिन अब नई दवा इस पर प्रभावी बताई जा रही है।

दवा को बनाने वाली प्रोफेसर लिंडा मलकास का कहना है कि ये दवा कैंसर प्रोटीन को खत्म करने में मदद करती है। इससे ट्यूमर जल्द डेवलप नहीं हो पाता है। अगर ट्यूमर डेवलप हो भी जाता है तो ये दवा उसे खत्म करने में कारगर साबित हुई है। ये कैंसर सेल्स को मारने का भी काम करती है।

प्रोफेसर लिंडा मलकास ने कहा- AOH1996 कैंसर सेल्स को मारने के दौरान हेल्दी सेल्स पर हमला नहीं करती है। दरअसल, कैंसर के ट्रीटमेंट- कीमोथैरेपी, रेडिएशन और इनवेसिव सर्जरी के दौरान मरीजों के अच्छे सेल्स भी खत्म होते हैं। इससे शरीर में कई तरह के साइड इफेक्ट्स आते हैं, जैसे- बाल झड़ना और चेहरे का काला पड़ना; लेकिन इस दवा से ऐसे कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होंगे।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक दुनिया में हर साल करीब एक करोड़ लोग कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। यहां सबसे ज्यादा चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 2010 की तुलना में 2019 में करीब 21 फीसदी ज्यादा मौतें कैंसर से हुई हैं। 2019 में एक करोड़ लोगों की मौत कैंसर से हुई थी। हालांकि अब कैंसर का इलाज संभव है, बशर्ते वो समय पर डिटेक्ट हो जाए।

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