रेवाड़ी। हैफेड बाजार अर्थात हैफेड की सरकारी दुकान। दुकान में मिलने वाला सामान बाजार से महंगा है, लेकिन फिर भी मुनाफा में चल रही है। कारण बताया जा रहा है, सामान गुणवत्तापरक है। खरीदने वाले क्वालिटी पर ध्यान देते है , महंगे पर नहीं। दुकान में मुनाफा होने से विभाग खुश है, दुखी है तो इसमें कार्यरत कर्मचारी, जो सुविधाओं के टोटे में काम कर रहे है।
कर्मचारी जहां पानी अपनी जेब से पीते है, वहीं दुकान की सफाई का जिम्मा भी उनके ऊपर ही है। दुकान में लगा एसी अभी तक की गर्मी में चला ही नहीं है, जबकि उस पर पांच लाख रुपये खर्च किए हुए है । हैफेड के डीएम का कहना है कि सुविधाओं का टोटा नहीं है, नियमानुसार काम चल रहा है। एसी ठीक कराने के लिए इंजीनियर को शिकायत भेज दी है।
बताया जाता है कि शहर के बावल चौक के निकट हैफेड ने हैफेड बाजार के नाम से दुकान खोली हुई है। इस दुकान में जहां हैफेड का लेबल लगा तेल, मल्टीग्रेन आटा, दाल व अन्य सामान मिलता है, वहीं बाजार में मिलने वाला अन्य सामान भी उपलब्ध है। इस दुकान की खासियत यह है कि यहां हैफेड ब्रांड का हर आईटम बाजार के भाव से महंगा है, लेकिन बिक्री कम नहीं है। यहां रोजाना 15 से 20 हजार रुपये का सामान बिक जाता है। मतलब प्रति माह 5 से 6 लाख रुपये की बिक्री होती है, जबकि इस का खर्च ज्यादा नहीं है। बताया गया है कि दुकान का किराया करीब 80 हजार रुपये प्रति माह है, जिसे ज्यादा बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो बावल रोड पर दुकान का इतना किराया काफी महंगा है। दुकान की सजावट भी विभाग ने काफी अच्छी की हुई है, किराए की दुकान में इतनी सजावट को भी सही नहीं बताया जा रहा है। एक तरह से देखा जाए तो दुकान की सजावट पर लाखों रुपये खर्च किया हुआ है। दुकान में दो डी-फ्रिज भी रखे हुए है , जो लगभग खाली रहते है ।
क्या कहते है डीएम:
हैफेड के जिला प्रबंधक संत कुमार का कहना है कि निश्चितरूप से दुकान में लगा एसी खराब है, जिसे ठीक कराने के लिए जेई को पत्र दिया हुआ हैद्ध। इंजीनियर ने इसमें कमियां बता दी है, जिसे जल्द ठीक करा दिया जाएगा। कर्मचारी गर्मी में है, इसका उन्हें अहसास है, लेकिन उनसे कई बार कूलर ले जाने को कह दिया है। जहां तक सफाई की बात है, सरकारी हिदायत के अनुसार कर्मचारी लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। पानी का कैंपर लेने के आदेश दिए हुए हैं। उन्होंने बताया कि दुकान का 80 हजार रुपये किराया, बैंकों के किराए की जांच-पड़ताल करने के बाद ही निर्धारित किया गया है, इसके लिए बाकायदा कुटेशन ली गई थी।