जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें से कुछ राज्य आदिवासी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं इसलिए इन राज्यों में आदिवासी मतदाता अहम भूमिका निभाते नजर आएंगे कोई भी पार्टी इन्हें नजर अंदाज कर सत्ता तक पहुंचने का नहीं सोच सकती है। तभी विश्व आदिवासी दिवस पर राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा से कांग्रेस ने चुनाव प्रचार की शुरुआत की। राजस्थान का बांसवाड़ा जिला, जिसके आसपास मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमा लगती है तो इसके जरिए राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के आदिवासी सीटों को भी साधने का प्रयास कांग्रेस ने किया। आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी शंखनाद फूंका।
आदिवासी मतदाता राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भी अहम भूमिका निभाते हैं और शायद तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले साल यहां रैली को संबोधित किया था। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस को ज्यादा अहमियत दी थी ऐसी खबरें पार्टी के अंदरखाने से आई थी। इसलिए पार्टी को भरोसा है कि पांच राज्यों के चुनाव में भी आदिवासी मतदाता कांग्रेस पर अपना विश्वास कायम रखेंगे।
पार्टी आदिवासियों का भरोसा जीतने की पूरी कोशिश में लगी हुई है और इन क्षेत्रों में काम भी कर रही है राजस्थान में 28 सीटें हैं, 11 कांग्रेस, बीजेपी 14, बीटीपी दो और अन्य एक रखते हैं। मध्यप्रदेश में 47 सीटों में से 31 कांग्रेस और बीजेपी 16 जहां मतदाता आदिवासी असर दिखा सकते हैं। छत्तीसगढ़ की बात करें 29 सीटें 24 कांग्रेस, बीजेपी चार,अन्य एक। यह साल 2018 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े है। वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच कांग्रेस ने राजस्थान के राजनीतिक मामलों की समिति का गठन कर लिया है। संगठन प्रभारी के सी वेणुगोपाल के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने समिति के गठन को मंजूरी दे दी है। प्रदेश प्रभारी सुखजिंद्र सिंह रंधावा की अध्यक्षता में बनाई गई इस समिति में सीएम अशोक गहलोत प्रदेश, अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, जितेंद्र सिंह और सचिन पायलट समेत 35 सदस्यों को शामिल किया गया है।