राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने दो महत्वपूर्ण चुनावी समितियां में नए नेताओं को सामने लाकर यह जाता दिया है कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में आगे बढ़ाने की सोच रही है। चुनाव प्रबंधन समिति और घोषणा पत्र समिति में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम हटा दिया गया है रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी इन समितियों में जगह नहीं दी गई है हालांकि अभी चुनाव अभियान समिति की घोषणा करना बाकी है और जिस पर सभी की नजरे भी टिकी हुई है। गौरतलब है कि प्रदेश में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य में बीजेपी बीते दो दशकों से वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है और सरकार बनने पर सिंधिया को ही मुख्यमंत्री बनाया जाता है लेकिन बीते कुछ सालों में केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में नए नेतृत्व को उभारने की कोशिश भी की है और इसी कड़ी में उसने राज्य में कई प्रयोग भी किए हैं नरम-गरम तेवरों के साथ वसुंधरा राजे सबसे बड़ी नेता के तौर पर हमेशा से बनी हुई है पार्टी भी उनके ऊपर किसी और नेता को स्थापित फिलहाल तो नहीं कर पाई अब विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने सामूहिक नेतृत्व को आगे बढ़ाने का फैसला किया है पार्टी के अंदर खाने खबरें ऐसी भी है कि किसी नेता के चेहरे पर चुनाव मैदान में पार्टी नहीं उतरेगी साथ ही वह नए नेताओं के जरिए सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश में भी है और बड़े नेताओं पर अपनी निर्भरता को कम भी करेगी और यही कारण है कि चुनाव प्रबंधन समिति और घोषणा पत्र समिति में ऐसे नेताओं को तरजीह दी गई है जो जमीनी और भावी राजनीति के लिए मुफीद माने जा सकते हैं बीजेपी ने फिलहाल तो वसुंधरा राजे के बारे में इतना ही कहा है कि बाकी सभी वरिष्ठ नेता प्रचार करेंगे। पार्टी के अंदर से जो खबरें आ रही है उनमें यही कहा जा रहा है कि सिंधिया एक बड़ी नेता है। हालांकि इसके बाद वसुंधरा राजे खेमे पर भी सबकी नजरें लगी हुई है कि वे इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। साथ ही सभी की नजरें इस बात पर भी टिकी हुई है कि केंद्रीय नेतृत्व को वसुंधरा राजे के बीच आगे किस तरह की बात होती है।