देश रोजाना, हथीन
लद्दाख में सेना के वाहन हादसे में हथीन उपमण्डल के गांव बहीन निवासी 28 वर्षीय मनमोहन उर्फ मोनू शर्मा भी साथियों के साथ शहीद हो गए। शहादत की सूचना जैसे ही परिवार वालों को मिली पूरे गांव में मातम का माहौल बन गया। शहीद मनमोहन के परिवार में उनके पिता बाबूराम के अलावा माता माला देवी, पत्नी चंचल एवं उसका एक वर्षीय अबोध पुत्र अर्पित है। शहादत की सूचना मिलते ही शहीद के घर गांव वालों का आवागमन शुरू हो गया।
इकलौता पुत्र थे शहीद मनमोहन
मनमोहन अपने घर में इकलौते बेटे थे। इस कारण पिता बाबूराम पुत्र की शहादत से गमगीन स्थिति में कुछ भी बोल नही पा रहे। शहीद के चचेरे भाई सुभाष ने बताया कि मनमोहन वर्ष 2017 में सेना में भर्ती हुआ था। उनके पिता स्वयं भी सेना में भर्ती हो देश सेवा के प्रति संकल्पबद्ध थे। वे किन्ही कारणों से सेना में भर्ती नही हो पाए। उन्होंने अपने पुत्र मनमोहन को सेना में भर्ती कराकर संकल्प पूरा कराया।
दो दिन पहले ही की थी वीडियो कॉल
शहीद के परिजन जयप्रकाश ने बताया कि मनमोहन के साथ दो दिन पूर्व ही उनकी वीडियो कॉल से बात हुई थी। वह नवम्बर में छुट्टी पर आने की बात कह रहे थे। मनमोहन बचपन से देशभक्ति पूर्ण भावना से भरा हुआ था। वह स्कूल समय से ही बॉलीवाल का अच्छा खिलाड़ी था। मनमोहन अप्रैल में छुट्टी पर आए थे और मई में छुट्टी काटकर वापस लौटकर गए थे। लद्दाख में उनकी ड्यूटी पिछले सात माह से थी।
आज आएगा शव
परिवारजनों ने बताया कि सेना की तरफ से सूचना मिली है कि सोमवार सुबह तक ही शहीद का पार्थिव देह गांव बहीन में आ पाएगी। शहादत की सूचना मिलते ही बहीन गांव के सरपंच विक्रम सिंह भी शहीद के घर पहुंचे। उन्होंने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि शहादत पर उन्हें दुख है। साथ ही गर्व भी है कि एक युवा देश सेवा करते शहादत को पा गया। गांव बहीन ही नही आसपास के पूरे इलाके को उनके ऊपर गर्व है। गांव में शहीद के घर पहुंचने वालों का तांता लगा हुआ है। समाचार भेजे जाने तक परिवार के पुरुषों ने महिलाओं को मनमोहन की शहादत के बारे में नही बताया है।
महिलाओं को नहीं दी सूचना
महिलाओं को घर के अंदर एकांत में रखा गया। सूत्रों के मुताबिक शहीद का पार्थिव शरीर आने के समय पर ही महिलाओं को शहादत के बारे में बताया जाएगा। शहादत की सूचना पर उनके घर पहुंचने वालों में अशोक शर्मा, लवकुश रावत, राहुल रावत सहित समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल रहे। शहीद के भाई सुभाष ने बताया कि मनमोहन शुरू से ही चुनौती पूर्ण ड्यूटी देने में विश्वास रखते थे। शहादत के बाद मनमोहन के घर गांव बहीन के अलावा आसपास के गांवों के लोग भी पहुंच रहे हैं परन्तु समाचार भेजे जाने तक कोई भी प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी नही पहुंचे।