Bihar Politics: पटना के सियासी गलियारों से हफ्तों पहले चली जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के इस्तीफे (Lalan Singh resignation) की खबर पर देश की राजधानी में आज मुहर लग गई। जेडीयू की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दूसरे दिन ललन सिंह के अध्यक्ष पद से हटने की खबर आई। सूत्रों की मानें तो बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ताज पहनेंगे।
ललन सिंह के इस्तीफे (Lalan Singh resignation) की खबर लगभग सभी मीडिया के पास थी। हालांकि, खिसियाए पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह इस्तीफे से पूर्व तक इसे मनगढ़ंत बताते रहे। साथ ही मीडिया की तरफ से बीजेपी के इशारे पर इस्तीफे की खबर के सहारे नैरेटिव सेट करने का हवाला देते रहे। लेकिन, अंत में सब साफ हो गया। ललन सिंह ने शुक्रवार को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। अब सवाल है कि जब लंबे समय से इस्तीफे की बात चल रही थी, तो ललन सिंह किस डैमेज कंट्रोल में लगे थे और आखिर क्या कारण रहे कि ना-नुकुर करने के बाद भी उन्हें इस पद से हटना ही पड़ा?
ललन सिंह का सवर्ण होना?
दिल्ली के सियासी गलियारों में भले ही इस इस्तीफे (Lalan Singh resignation) के पीछे ललन सिंह की जाति को मुख्य कारण नहीं माना जा रहा, लेकिन यह सच है कि जाति सर्वे के साथ ही इसकी पटकथा लिखी गई। ललन सिंह का अध्यक्ष के रूप में टर्म पूरा हो रहा था। ऐसे में पार्टी के लिए इससे अच्छा मौका नहीं था। उसने इसका फायदा उठाया और उन्हें पद से हटा दिया गया।
नेताओं से तालमेल की कमी
राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए ललन सिंह का पार्टी के सभी लोगों के साथ तालमेल की कमी भी उनके इस्तीफे का कारण बना। एक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी की मजबूती के लिए पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों, मंच मोर्चा और प्रकोष्टों के साथ बैठक करना होता है, लेकिन वे ऐसा नहीं करते थे। कहा जाता है कि ललन सिंह के एरोगेंट नेचर के कारण कोई भी सक्रिय नेता उनसे मिलने या बात करने में हिचकता था।
नीतीश को कमजोर करने का आरोप
खबरें यह भी हैं कि ललन सिंह अंदरखाने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को कमजोर करने में लगे थे ताकि उनका वर्चस्व बना रहे। एक खास रणनीति के तहत नीतीश कुमार को कमजोर और असुरक्षित रखने का खेल खेला। उनके करीबी नेताओं, जिनमें उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह और पूर्व एमएलसी प्रो. रणवीरनंदन को पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया।
सांसदों-विधायकों ने भी पत्ता काटा
ललन सिंह को पद से हटाने (Lalan Singh resignation) में पार्टी के सांसदों और विधायकों का भी बड़ा रोल रहा है। खबर है कि जेडीयू के 16 सांसदों में से 13 ललन सिंह से नाराज थे। विधायकों के साथ नीतीश कुमार ने बैठक की तो उसमें भी ललन सिंह को लेकर फीडबैक सही नहीं मिला। साथ ही नीतीश ने खुद भी महसूस किया कि पार्टी को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को जितना सक्रिय होना चाहिए, ललन सिंह उसमें नाकाम रहे हैं।
इंडिया गठबंधन में समन्वय के लिए फैसला
माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन में पार्टी की बात रखने और नीतीश कुमार के संदेश को पहुंचाने में ललन सिंह नाकाम रहे हैं। इंडिया गठबंधन को प्रारूप देने में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका रही है। लेकिन, ललन सिंह की खराब बैटिंग के कारण उन्हें इंडिया गठबंधन का संयोजक पद नहीं मिला।
महागठबंध बनाने की सलाह
बिहार के सियासी जानकार बखूबी जानते हैं कि ललन सिंह जिस तरह नीतीश के करीबी हैं, ठीक उसी तरह लालू के भी काफी करीबी हैं। उन्होंने ही नीतीश कुमार को एनडीए गठबंधन को छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने की सलाह दी थी। अब खबर चल रही थी कि ललन सिंह जल्द ही सरकार गिराने की साजिश में लगे हैं। वह तेजस्वी यादव को सीएम और खुद उप मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।