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महंगा हुआ किफायती घर खरीदना

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अगर आप अच्छा खासा घर खरीदने का सोच रहे हैं तो आपके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है क्योंकि अब किफायती घर खरीदना महंगा हो गया है और इसकी वजह है ब्याज दरों में बढ़ोतरी। घर कर्ज पर ब्याज बढ़ाने से पहली छमाही में लोगों के लिए घर खरीदना महंगा पड़ रहा है। यह रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया की तरफ से आठ शहरों के लिए किफायत सूचकांक जारी किया गया है, इसमें औसत परिवार के लिए मासिक किस्त के अनुपात में आय का आंकलन भी किया गया है इस जारी सूचकांक से यह मालूम होता है कि अहमदाबाद सबसे किफायती आवास बाजार है, जिसे अनुपात 23फीसदी है इसके बाद पुणे और कोलकाता 26 फीसदी है बेंगलुरु और चेन्नई 28प्रतिशत पर और दिल्ली एनसीआर 30 फीसदी पर है हैदराबाद की बात की जाए तो 31फीसदी और मुंबई 55 फ़ीसदी पर है नाइट फ्रेंड का किफायती सूचकांक एक औसत परिवार के आय के अनुपात के लिए ईएमआई को ट्रैक करता है इसमें प्रमुख शहरों में 2010 से साल 2021 तक लगातार सुधार देखा गया है और यह सुधार खास कर महामारी के दौरान देखा गया इसके बाद केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 250 अंक की बढ़ोतरी की,जिससे शहरों में खरीद क्षमता पर औसतन 2.5 फ़ीसदी का असर पड़ा है और तब से कर्ज लेने वालों को पर किस्त का भार 14.4 फ़ीसदी बढ़ गया है लेकिन घरों की मांग में कमी नहीं आई है। आंकड़ों की बात की जाए तो उसके मुताबिक घरों की मांग कई साल के उच्च स्तर पर है आपको बता दें की किफायत सूचकांक किसी विशेष शहर में एक घर की मासिक किस्त को भरने के लिए एक परिवार के लिए जरूरी आय का अनुपात बताता है किसी शहर के लिए किफायत सूचकांक लेवल 40 फ़ीसदी का मतलब होता है कि औसतन उसे शहर के परिवारों को उसे इकाई के लिए घर कर्ज मासिक किस्त को भरने के लिए ईकाई का 40 फ़ीसदी खर्च करने की जरूरत होती है 50 फीसदी से ज्यादा मासिक किस्‍त आय अनुपात को खराब माना जाता है क्योंकि यह वो सीमा है जिसके आगे बैंक शायद ही कभी किसी आवास कर्ज को स्वीकार करते हो मध्य और प्रीमियम खंड लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं इसके विपरीत 50 लाख से कम कीमत वाले घरों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है इस सेगमेंट में घर खरीदने वालों को होम लोन पर निर्भर रहना पड़ता है और इसलिए वह मध्य और प्रीमियम सेगमेंट की तुलना में दरों में बढ़ोतरी के प्रति ज्यादा संवेदनशील है।
एक तरफ कुछ लोगों का यह मानना है कि अगले साल की शुरू में ब्याज दरों में नरमी का असर देखा जाएगा तो वहीं अब आशंका यह बढ़ने लगी है कि आरबीआई महंगाई पर काबू करने के लिए फिर से ब्याज दरे बढ़ा सकता है इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट को 6.50 फी साड़ी पर छोड़ दिया महंगाई नियंत्रित करने के लिए नीतिगत दर में बढ़ोतरी की संभावना काफी बढ़ती जा रही है मुद्रा स्पीति दो तिमाहियों तक 6वीं सदी से ऊपर बनी रहने से आरबीआई कर्ज की किस्तों में बढ़ोतरी करने का फैसला ले सकता है

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