Sunday, February 23, 2025
20.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeBUSINESS News in hindi - Deshrojanaमहंगा हुआ किफायती घर खरीदना

महंगा हुआ किफायती घर खरीदना

Google News
Google News

- Advertisement -

अगर आप अच्छा खासा घर खरीदने का सोच रहे हैं तो आपके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है क्योंकि अब किफायती घर खरीदना महंगा हो गया है और इसकी वजह है ब्याज दरों में बढ़ोतरी। घर कर्ज पर ब्याज बढ़ाने से पहली छमाही में लोगों के लिए घर खरीदना महंगा पड़ रहा है। यह रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया की तरफ से आठ शहरों के लिए किफायत सूचकांक जारी किया गया है, इसमें औसत परिवार के लिए मासिक किस्त के अनुपात में आय का आंकलन भी किया गया है इस जारी सूचकांक से यह मालूम होता है कि अहमदाबाद सबसे किफायती आवास बाजार है, जिसे अनुपात 23फीसदी है इसके बाद पुणे और कोलकाता 26 फीसदी है बेंगलुरु और चेन्नई 28प्रतिशत पर और दिल्ली एनसीआर 30 फीसदी पर है हैदराबाद की बात की जाए तो 31फीसदी और मुंबई 55 फ़ीसदी पर है नाइट फ्रेंड का किफायती सूचकांक एक औसत परिवार के आय के अनुपात के लिए ईएमआई को ट्रैक करता है इसमें प्रमुख शहरों में 2010 से साल 2021 तक लगातार सुधार देखा गया है और यह सुधार खास कर महामारी के दौरान देखा गया इसके बाद केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 250 अंक की बढ़ोतरी की,जिससे शहरों में खरीद क्षमता पर औसतन 2.5 फ़ीसदी का असर पड़ा है और तब से कर्ज लेने वालों को पर किस्त का भार 14.4 फ़ीसदी बढ़ गया है लेकिन घरों की मांग में कमी नहीं आई है। आंकड़ों की बात की जाए तो उसके मुताबिक घरों की मांग कई साल के उच्च स्तर पर है आपको बता दें की किफायत सूचकांक किसी विशेष शहर में एक घर की मासिक किस्त को भरने के लिए एक परिवार के लिए जरूरी आय का अनुपात बताता है किसी शहर के लिए किफायत सूचकांक लेवल 40 फ़ीसदी का मतलब होता है कि औसतन उसे शहर के परिवारों को उसे इकाई के लिए घर कर्ज मासिक किस्त को भरने के लिए ईकाई का 40 फ़ीसदी खर्च करने की जरूरत होती है 50 फीसदी से ज्यादा मासिक किस्‍त आय अनुपात को खराब माना जाता है क्योंकि यह वो सीमा है जिसके आगे बैंक शायद ही कभी किसी आवास कर्ज को स्वीकार करते हो मध्य और प्रीमियम खंड लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं इसके विपरीत 50 लाख से कम कीमत वाले घरों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है इस सेगमेंट में घर खरीदने वालों को होम लोन पर निर्भर रहना पड़ता है और इसलिए वह मध्य और प्रीमियम सेगमेंट की तुलना में दरों में बढ़ोतरी के प्रति ज्यादा संवेदनशील है।
एक तरफ कुछ लोगों का यह मानना है कि अगले साल की शुरू में ब्याज दरों में नरमी का असर देखा जाएगा तो वहीं अब आशंका यह बढ़ने लगी है कि आरबीआई महंगाई पर काबू करने के लिए फिर से ब्याज दरे बढ़ा सकता है इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट को 6.50 फी साड़ी पर छोड़ दिया महंगाई नियंत्रित करने के लिए नीतिगत दर में बढ़ोतरी की संभावना काफी बढ़ती जा रही है मुद्रा स्पीति दो तिमाहियों तक 6वीं सदी से ऊपर बनी रहने से आरबीआई कर्ज की किस्तों में बढ़ोतरी करने का फैसला ले सकता है

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

महिला की पहचान नाम से होगी या ‘तलाकशुदा’ से?

- सोनम लववंशी समाज में भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है। यह सोच, संस्कार और व्यवस्था का दर्पण होती है। जब भाषा में...

वासुदेव अरोड़ा वार्ड नम्बर 37 के मतदाताओं की एक मात्र पंसद

समस्याओं का एक ही समाधान, तीर कमान तीर कामन फरीदाबाद। नगर निगम के वार्ड नम्बर 37 के र्निदलीय उम्मीदवार वासुदेव अरोड़ा को मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिल रहा है उनके समर्थकों के तूफान की तेज हवाओं में बाकि सभी उम्मीदवारों की हवा निकल रही है। वार्ड नम्बर 37 में मतदाताओं की एकमात्र पंसद वासुदेव अरोड़ा हैं और वार्ड की जनता जान चुकि है कि समस्याओं का एक ही समाधान तीर कमान। वासुदेव अरोड़ा ने सैक्टर 9 के डोर टू डोर अभियान में मतदाताओं को कहा कि वह अपने वार्ड की सभी समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं और इन समस्याओं के समाधान के लिये 2 मार्च को आप मेरे चुनाव चिन्ह तीर कमान के सामने वाला बटन दबाकर मुझे नगर निगम में पार्षद के रूप में भेजें। समाजसेवी हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि वासुदेव अरोड़ा पिछले 25 वर्षों से बिना किसी पावर के अपने वार्ड की समस्याओं का समाधान करते रहते है इसलिये आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि वासुदेव अरोड़ा की सेवाओं को सरकारी ताकत देकर अपने वार्ड के विकास को गति प्रधान करें। सैक्टर 9 में डोर टू डोर अभियान में हर घर से लोग उनको वोट देने का वादा करके उनके साथ समर्थन में उनके हक में वोट की अपील करने उनके साथ निकलते जा रहे थे और वहाँ के लोगों का कहना है कि बाकि नेता केवल वोट के समय नजऱ आते है लेकिन वासुदेव अरोड़ा हर समय उनके सुख-दुख में साथ खड़े रहते हैं इसलिये इस बार उनके बहुत ही भारी मतों से एकतरफा जीत के साथ नगर निगम पंहुचायेंगें। वासुदेव अरोड़ा

नादान और नफरत करने वाले क्या जानें ‘उर्दू की मिठास’

तनवीर जाफ़री                                 आपने छात्र जीवन में उर्दू कभी भी मेरा विषय नहीं रहा। हाँ हिंदी में साहित्य रत्न होने के नाते मेरा सबसे प्रिय...

Recent Comments