देश रोज़ाना: साल की शुरुआत हुई थी तब बिजनेस सेक्टर से जुड़े लोगों का यह मानना था की टेक सेक्टर में ज्यादा ले ऑफ देखने को मिलेगा और हाल फिलहाल बात की जाए तो यह बात सही साबित हो रही है। ऐसा देखने को मिल भी रहा है, ले ऑफ पर नजर रखने वाली अलग-अलग कंपनी Layoffs.fyi के आंकड़े यही बताते हैं कि इस साल में अब तक 10 774 कर्मचारियों को लेऑफ़ का सामना करना पड़ा हालांकि पिछले साल यह आंकड़ा काफी कम था।
साल 2023 की शुरुआत में आईएमएफ के पूर्व सलाहकार गीता गोपीनाथ ने कहां था कि यह साल भले ही पिछले साल से अच्छा रहा लेकिन पहले 6 महीने मुश्किल दौर से गुजर सकते हैं उन्होंने महंगाई को लेकर भी अपनी राय दी थी और अब ऐसा होते हुए दिख भी रहा है क्योंकि इस साल में देखें तो अब तक 1077 4 लोगों को ले ऑफ का सामना करना पड़ा है और साल 2022 में 6530 लोगों को लेयर ऑफ़ का सामना करना पड़ा था, खबरों की माने तो जिन नामी कंपनियों ने ले ऑफ का निर्णय लिया है उन्होंने इसकी वजह बढ़ती कॉस्ट और कम होते मुनाफे को बताया सभी का यही कहना है कि लगातार बढ़ती लागत और बाजार की मंदी के कारण लेऑफ़ का निर्णय लेना पड़ रहा है।
साल की शुरुआत से यानी कि जनवरी से अब तक देखा जाए तो अमेज़न, मेटा, ओएलएक्स जैसी नामी कंपनियों ने कई लोगों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है तो इसी बीच गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी ऐलान किया था कि उनकी कंपनी इस साल 12000 से ज्यादा कर्मचारियों को निकालेगी, गूगल से निकाले गए कई कर्मचारियों ने कंपनी के साथ काम किए गए अनुभव को सोशल मीडिया पर भी साझा किया था हालांकि गूगल ने जिन कर्मचारियों को कंपनी से निकाला था उन्हें 60 दिन की सैलरी और 6 महीने की हेल्थ पॉलिसी के साथ कई और सुविधाएं भी देने के लिए कहा था। अल्फाबेट इंक से भी 12000 से ज्यादा लोगों को कंपनी से बाहर करने की बात कही गई थी।