21 नवंबर को अमेरिकी अभियोजकों ने उद्योगपति गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी समेत सात अन्य व्यक्तियों पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया। यह मामला उस समय का है जब अदाणी समूह ने भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को हासिल करने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को कथित तौर पर 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी।
अमेरिकी न्याय विभाग ने 2022 में इस मामले की जांच शुरू की थी। आरोप यह है कि अदाणी समूह ने भारत में सौर ऊर्जा अनुबंधों के बदले अधिकारियों को रिश्वत दी और इसके जरिए दो अरब डॉलर से अधिक की राशि जुटाई, जिसमें निवेशकों और बैंकों से कर्ज और बॉण्ड के जरिए पैसे जुटाए गए। इन गतिविधियों में कंपनी ने अमेरिका की वित्तीय नियामक एजेंसियों को गलत जानकारी दी और रिश्वत से संबंधित जांच को बाधित किया।
अदाणी समूह की हरित ऊर्जा इकाई, अदाणी ग्रीन एनर्जी ने 2021 में भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) द्वारा आयोजित एक निविदा में 8,000 मेगावाट बिजली आपूर्ति का अनुबंध हासिल किया। इस निविदा में अदाणी समूह ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने के बदले अपनी बोली जीतने का दावा किया। आरोप है कि अदाणी ने अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें रिश्वत का वादा किया, जिसके बाद इन राज्यों ने SECI से सौर ऊर्जा खरीदने के लिए समझौते किए।
अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि अदाणी और उनके साथियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए साजिश रची और इसके जरिए सौर ऊर्जा आपूर्ति के बड़े अनुबंध हासिल किए। इसमें आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को प्रति मेगावाट 25 लाख रुपये की रिश्वत दी गई।
यह आरोप अमेरिकी कानून के तहत दायर किए गए हैं, जो विदेशी भ्रष्टाचार पर नजर रखते हैं, विशेषकर जब इन गतिविधियों का असर अमेरिकी निवेशकों या बाजारों पर हो। इसके चलते अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) ने कार्रवाई शुरू की है।
अदाणी समूह की प्रतिक्रिया
अदाणी समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है। उनका कहना है कि यह सभी आरोप झूठे हैं और वे इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाएंगे। इसके साथ ही, अदाणी ग्रीन एनर्जी ने अपने 60 करोड़ डॉलर के बॉन्ड को रद्द कर दिया, जिसे जारी करने से पहले काफी अभिदान प्राप्त हुआ था।
यह आरोप अदाणी समूह के लिए गंभीर परिणाम ला सकते हैं। अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो इससे समूह की साख को गंभीर नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी बाजार से धन जुटाने में भी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस मामले का असर न केवल अदाणी समूह पर बल्कि भारतीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर भी पड़ सकता है, क्योंकि विपक्षी दलों ने इन आरोपों को लेकर सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं।