भारत में अमीर और गरीब (Rich & Poor) के बीच आय की खाई गहरी हो रही है। इसे लेकर लगातार बहस जारी है। अब विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुट गए हैं। कांग्रेस का दावा है कि देश में गरीबों और अमीरों के बीच खाई लगातार बढ़ रही है। पार्टी ने कहा कि सबसे अमीर और सबसे ग़रीब परिवारों के मासिक उपभोग खर्च में करीब 20 गुना का अंतर है।
गरीब और अमीर (Rich & Poor) के बीच आय में कितना अंतर
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए अमीर और गरीब (Rich & Poor) के बीच आय की खाई बढ़ने की बात कही है। उस खबर में कहा गया है कि देश में अमीरों और गरीबों के बीच प्रति व्यक्ति मासिक खर्च का अंतर 10 गुना तक बढ़ गया है। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “कांग्रेस पार्टी लगातार इस मुद्दे को उठा रही है कि देश में अमीर और ग़रीब के बीच खाई बढ़ती जा रही है। अब आंकड़ों को ही देखिए। देश के पांच प्रतिशत सबसे ग़रीब लोगों का मासिक उपभोग ख़र्च महज 1,373 रुपये है। वहीं शीर्ष पांच प्रतिशत अमीरों का मासिक उपभोग ख़र्च तकरीबन 20,824 रुपये है। सबसे अमीर और सबसे ग़रीब परिवारों के बीच हर महीने मासिक उपभोग ख़र्च में 20 गुना का अंतर है।
40% धन सिर्फ एक प्रतिशत लोगों के पास
उन्होंने कहा कि यह नया आंकड़ा है। लेकिन चाहे जो भी आंकड़ा देखें, सभी अमीर और ग़रीब (Rich & Poor) के बीच बढ़ती खाई के सबूत दिखाते हैं। साल 2012 से 2021 तक देश में बनी संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा सिर्फ एक प्रतिशत आबादी के पास गया है। देश में कुल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का लगभग 64 प्रतिशत ग़रीबों, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग से आता है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में अधिकतर सार्वजनिक संपत्तियां और संसाधन एक या दो कंपनियों के हाथों बेचे गए हैं। अर्थशास्त्रियों ने बताया है कि अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार के कारण महंगाई बढ़ी है। उन्होंने उल्लेख किया कि 21 अरबपतियों के पास कुल मिलाकर 70 करोड़ भारतीयों से अधिक संपत्ति है।