टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा व्यापार और समाजसेवा दोनों क्षेत्रों में एक मिसाल रहे। बड़े पैमाने पर संपत्ति के बावजूद, वे अपनी सादगी भरी जीवनशैली और टाटा ट्रस्ट के जरिये समाज सेवा के कार्यों के लिए फेमस थे। उनका कोई बच्चा नहीं है। बिना संतान होने के कारण यह सवाल उठता है कि 33.7 ट्रिलियन रुपये के टाटा साम्राज्य की बागडोर (Ratan Tata Successor) कौन संभालेगा?
इस सवाल के बीच, उनके सौतेले भाई नोएल टाटा का नाम प्रमुखता से सामने आता है। नोएल, रतन टाटा के सौतेले भाई और नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन के बेटे हैं। इस पारिवारिक संबंध के चलते नोएल को उत्तराधिकार की दौड़ में आगे देखा जा रहा है। हालांकि, उनकी उम्र को देखते हुए यह भी संभव है कि उनके तीन बच्चों में से किसी एक को जिम्मेदारी सौंपी जाए। नोएल टाटा के तीन बच्चे हैं – माया टाटा, नेविल टाटा और लिया टाटा। इसके अलावा, रतन टाटा का एक छोटा भाई भी है, जिम्मी टाटा, जो हमेशा चर्चाओं और टाटा समूह की गतिविधियों से दूर रहे हैं।
नोएल टाटा के बच्चों की भूमिका
माया टाटा, जो 34 साल की हैं, समूह के भीतर तेजी से आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने बेयज बिजनेस स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ वॉरविक से शिक्षा प्राप्त की है। माया ने टाटा अपॉर्चुनिटीज फंड और टाटा डिजिटल में अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं और टाटा न्यू ऐप को लॉन्च करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके रणनीतिक दृष्टिकोण और कुशाग्रता ने उन्हें एक प्रभावशाली उम्मीदवार बनाया है।
नेविल टाटा, जो 32 साल के हैं, परिवार के व्यापार में सक्रिय रूप से शामिल हैं। उनकी शादी टोयोटा किर्लोस्कर ग्रुप की मानसी किर्लोस्कर से हुई है। नेविल ट्रेंट लिमिटेड के तहत स्टार बाजार की प्रमुख हाइपरमार्केट चेन का नेतृत्व कर रहे हैं।
लिया टाटा, जो 39 साल की हैं, टाटा समूह के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कार्यरत हैं। स्पेन की आईई यूनिवर्सिटी से पढ़ीं लिया ताज होटल्स, रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेस में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और इंडियन होटल कंपनी के संचालन का प्रबंधन देख रही हैं।
शांतनु नायडू की संभावित भूमिका
टाटा समूह में एक अन्य नाम जो चर्चा में है, वह है शांतनु नायडू। रतन टाटा के सबसे युवा और भरोसेमंद सहयोगी रहे शांतनु, हाल के दिनों में रतन टाटा के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि उन्हें भविष्य में समूह में किस प्रकार की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
रतन टाटा के उत्तराधिकार को लेकर हो रहे कयासों के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में टाटा समूह के नेतृत्व में किस प्रकार के बदलाव होते हैं। यह न केवल टाटा के भविष्य को परिभाषित करेगा, बल्कि भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यावसायिक समूह की दिशा को भी तय करेगा।