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पांच लाख रुपए से कम इनकम वालों को भी क्यों भरनी चाहिए आईटीआर? जानिए वजह

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इनकम टैक्‍स कानून के मुताबिक जिन्होंने कुछ लेनदेन किया है उन सभी लोगों को आईटीआर फाइल करना चाहिए। वहीं अगर आपके वित्त वर्ष 2022-23 की आपकी सकल कुल आय मूल छूट सीमा से ऊपर है तो आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है। वहीं अगर किसी व्‍यक्ति की आय 5 लाख रुपये से ज्‍यादा नहीं है, तो धारा 87ए के तहत छूट की अनुमति दी जाती है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए किसी व्‍यक्ति की आय 5 लाख रुपये से ज्‍यादा नहीं है तो वह आईटीआर भरने के लिए पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था और नई टैक्‍स व्‍यवस्‍था का विकल्‍प चुन कर टैक्स भर सकते हैं। आयकर कानून की धारा 87ए के तहत 12,500 रुपए तक की छूट मिलती है। इस तरह की छूट का दावा करने के लिए धारा 87ए के तहत अपना आईटीआर दाखिल करना करदाता के लिए अनिवार्य है।

अगर अभी तक आपने आईटीआर फाइल नहीं किया है तो 31 जुलाई से पहले फाइल कर लें वरना बाद में जुर्माने के साथ रिटर्न फाइल करने की अनुमति दी जाएगी। आईटीआर फाइल करना क्‍यों अनिवार्य है यहां उदाहरण से समझाया गया है। अगर शुद्ध टैक्‍स योग्य आय किसी व्यक्ति की केवल 4.25 लाख रुपए है। जोकि टैक्‍स योग्य आय 5 लाख रुपए से कम है, जिसके चलते शून्य कर नहीं देना होगा। हालांकि 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा से 4.25 लाख रुपये की आय ऊपर है, इसलिए आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है।

क्‍या होगा आईटीआर दाखिल ना करने पर
अगर आप आईटीआर दाखिल करने की डैडलाइन से चूक गए हैं जबकि आपका आईटीआर दाखिल करना अन‍िवार्य है, तो आप डैडलाइन के बाद आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। डैडलाइन के बाद दाखिल की गई रिटर्न को बिलेटेड आईटीआर कहा जाता है। हालांकि अगर आप डैडलाइन के बाद आईटीआर दाखिल करते हैं तो आपको इसके लिए जुर्माना भरना पड़ेगा जिससे कि अन्य लाभों से भी चूक जाएंगे।

जुर्माने की राशि
आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारिख 31 जुलाई, 2023 है। जिसके बाद अगर आईटीआर दाखिल किया जाता है तो देरी के लिए 5 हज़ार रुपए तक का जुर्माना देना होगा। लेकिन आपकी टैक्‍स योग्य आय अगर 5 लाख रुपए से कम है, तो जुर्माना राशि भी 1 हज़ार रुपए से ज्यादा नहीं होगी। आयकर कानून की धारा 87ए के तहत कर छूट के चलते 5 लाख रुपए से कम की टैक्‍स योग्य आय के लिए कोई कर देनदारी नहीं है। हालांकि अगर आप पर 5 लाख रुपए से अधिक आय स्तर के लिए कर देनदारी है और आपने समय सीमा तक आईटीआर दाखिल नहीं किया है, तो धारा 234ए के तहत आपके ऊपर दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा।

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