गुरुग्राम। मानसून में जिला में जलभराव की स्थिति से निपटने को लेकर क्षेत्रवार 16 वरिष्ठ अधिकारियों की ड्यूटी लगाई है। इन अधिकारियों को जलभराव की पूर्व की घटनाओं के आधार पर आवंटित क्षेत्रों को विजिट करने के निर्देश दिए गए। डीसी निशांत कुमार यादव ने मंगलवार को बैठक लेकर अधिकारियों से कहा है कि वे जिला में जलभराव वाले चिन्हित 114 स्थानों पर स्वयं जाकर जल निकासी के इंतजाम देखें। इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत उनके पास भेजें। इस मामले में शुरू से ही सचेत रहें और की गई कार्यवाही से उन्हें अपडेट करते रहें।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जलभराव वाले ऐसे 114 स्थानों को चिन्हित किया गया है जहां पर पिछले सालों में जलभराव होता रहा है। ऐसे में जरूरी है कि इन स्थानों पर समय रहते आवश्यक इंतजाम किए जाएं। उन्होंने कहा कि इन चिन्हित 114 स्थानों पर 16 वरिष्ठ अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रत्येक अधिकारी को 6-7 स्थान दिए गए है जहां पर जलभराव ज्यादा होने की संभावना रहती है। बरसात होने पर सभी अधिकारी फील्ड में रहेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्र में जलभराव ना हो। यदि कहीं किसी कारण पानी भर भी जाए तो उसकी निकासी के प्रबंध ऐसे हो कि निकासी जल्द हो। डीसी ने कहा कि अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में साइट विजिट करते हुए सुनिश्चित करें कि पंप सैट चालू हालत में हो, उनको चलाने के लिए कर्मचारी निर्धारित हो, फ्यूल की उपलब्धता हो।
धारा 144 के तहत जारी किए जाएंगे आदेश
डीसी ने कहा कि बरसात होने पर जिला में बनाए गए नॉन मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट (एनएमटी) बंद रखे जाएंगे। इसके लिए धारा 144 लागू के तहत आदेश जारी किए जाएंगे। अंडरपास में भी यदि एक लेवल से उपर पानी भर जाए तो उन्हें बेरिकेटिंग करवाकर बंद करवाना सुनिश्चित करें। इस दौरान लोग आवागमन के लिए वैकल्पिक रोड का इस्तेमाल कर सकते हैं। बैठक में जीएमडीए के अधिकारियों ने बताया कि नरसिंहपुर में जलभराव वाले क्षेत्र में मौजूदा वाटर पम्पस की क्षमता को बढ़ाया गया है। नरसिंहपुर में जीएमडीए की ओर से सत्तर एचपी की क्षमता के दो व पचास एचपी की क्षमता के तीन पम्पस लगाए गए हैं। वहीं एनएचएआई की तरफ से तीस एचपी की क्षमता के दो वाटर पंप लगाए गए हैं।