Sunday, December 22, 2024
21.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeDelhi51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की...

51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली गई

Google News
Google News

- Advertisement -

फरीदाबाद…..

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने 51 साल के एक फैक्ट्री कर्मचारी के लीवर से 9 से.मी. की धातु की गोलाकार वस्तु सफलतापूर्वक निकाली। करीब 86 ग्राम वजन की यह वस्तु दरअसल, उस एल्युमीनियम फोर्जिंग फैक्ट्री में लगी मशीनरी का टूटा हुआ हिस्सा था जिसमें यह मरीज काम करता था। यह घटना उस समय हुई जब इस हाइ-स्पीड मशीनरी में से धातु का एक हिस्सा इस कर्मचारी के दाएं फेफड़े को चीरता हुआ सीने की हड्डियों के पार उसके लीवर में जा घुसा। धातु का हिस्सा उसके लीवर की बायीं ओर घुसने से पहले उसके हृदय को भी हल्का-सा छूकर गुजरा। मरीज फरीदाबाद स्थित जवाहर कालोनी का रहने वाला है।

डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने अत्याधुनिक लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस इस धातु की वस्तु को निकाला। जिस तकनीक से यह सर्जरी की गई उसके चलते आसपास के अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और और करीब एक घंटे से भी कम समय में इस पूरे आॅपरेशन को अंजाम दिया गया। मरीज को स्वस्थ होने के बाद 7 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल गई।

मरीज को काफी गंभीर हालत में अस्पताल में लाया गया था और उन्हें काफी दर्द था। उनकी छाती और पेट में सीटी स्कैन दायीं तरफ न्यूमोथोरैक्स (फेफड़े के बाहर की ओर हवा भरना) दिखायी दिया जबकि लीवर के बायीं ओर और हृदय के ठीक नीचे एक बड़ी धातु की वस्तु थी। मरीज के लीवर इस वस्तु को निकालने के लिए उन्की लैपरोस्कोपिक सर्जरी की गई। इस सर्जरी के दौरान न सिर्फ इस बाहरी वस्तु को निकाला गया बल्कि इसकी वजह से लीवर और अन्य टिश्यू को पहुंचे नुकसान के चलते उन्हें रिपेयर भी किया गया।

डॉ बी डी पाठक, डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने कहा, हमने एडवांस लैपरोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस धातु की वस्तु को निकाला। आमतौर पर इस तरह के मामलों में पेट में बड़ा चीरा लगाया जाता है, लेकिन इस मामले में यह वस्तु फेफड़े के बायीं ओर हृदय के काफी नजदीक थी, इसलिए इस दोनों नाजुक अंगों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए नवीनतम लैपरोस्कोपिक तकनीक का सहारा लिया गया। इस वस्तु की वजह से फेफड़े, लीवर और आसपास के कुछ अंगों को नुकसान पहुंचा था। यदि इसे समय पर नहीं निकाला जाता तो मरीज की मृत्यु हो सकती थी या वह लंबे समय तक लीवर के बेकार पड़ने और अन्य जटिलताओं से ग्रस्त हो सकता था।

योगेंद्र नाथ अवधीया, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद ने कहा, मरीज की गंभीर हालत के मद्देनजर यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था। डॉ बी डी पाठक, डॉ सैयद सादिक अली हफ्फान और डॉ विनीत एवं डॉ एविटा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने मिनीमल एक्सेस तकनीक की मदद से मरीज का एकदम सटीक उपचार किया। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद में सटीक डायग्नासिस और उपचार के लिए अनुभवी क्लीनिशयन और एडवांस टैक्नोलॉजी उपलब्ध है, जो मरीजों के स्वास्थ्यलाभ में मददगार साबित होती है।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

अनशन से नहीं, बातचीत से ही खत्म होगा किसान आंदोलन

संजय मग्गूखनौरी बॉर्डर पर पिछले 26 दिन से अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है।...

नौकरी नहीं है तो क्या, पांच किलो अनाज तो मिलता है

संजय मग्गूहमारे देश की अर्थव्यवस्था में मांग लगातार घट रही है। मांग में गिरावट का कारण लोगों की जेब में पैसे का न होना...

यूनान का सनकी दार्शनिक डायोजनीज

बोधिवृक्षअशोक मिश्रअपनी मस्ती और सनक के लिए मशहूर डायोजनीज का जन्म 404 ईसा पूर्व यूनान में हुआ था। वह यूनान में निंदकवादी दर्शन के...

Recent Comments