Farmers’ Protest in Delhi: किसानों का आंदोलन एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली की ओर पैदल मार्च (Farmers March) करने को तैयार हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने गुरुवार को घोषणा की कि 101 किसानों का पहला जत्था शुक्रवार दोपहर 1 बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेगा। अंबाला जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की है, जिसके अनुसार पांच या अधिक व्यक्तियों की गैरकानूनी सभा और जुलूस पर रोक है। प्रशासन ने पैदल, वाहन या अन्य साधनों से जुलूस निकालने पर भी पाबंदी लगा दी है। यह आदेश 30 नवंबर से लागू है और अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा।
जिले में सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने के लिए अंबाला पुलिस ने विशेष अलर्ट जारी किया है। बहुस्तरीय बैरिकेडिंग के साथ-साथ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भी हरियाणा और पंजाब की सीमा पर तैनात किया गया है। जिला पुलिस अधीक्षक सुरिंदर सिंह भोरिया ने किसानों से शांति बनाए रखने और दिल्ली पुलिस से अनुमति लेकर ही आगे बढ़ने की अपील की।
किसानों की क्या हैं मांगें
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कृषि ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि न करने, पुलिस मामलों की वापसी, और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय जैसी मांगों को लेकर आंदोलन (Farmers March) कर रहे हैं। इसके अलावा, वे भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।
पहले जत्थे का नेतृत्व सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह और बलजिंदर सिंह करेंगे। किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि उनके मार्च में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का इस्तेमाल नहीं होगा और वे पूरी तरह पैदल मार्च करेंगे।
सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “यह हमारी नैतिक जीत होगी अगर सरकार हमें रोकती है। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचना चाहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यदि बल प्रयोग करती है, तो इससे उसकी मंशा बेनकाब होगी।
प्रशासन की अपील, मार्च पर विचार करें
अंबाला जिला प्रशासन ने बुधवार को किसानों से दिल्ली मार्च (Farmers March) पर पुनर्विचार करने की अपील की थी। डीआईजी (पटियाला रेंज) मंदीप सिंह सिद्धू और एसएसपी (पटियाला) नानक सिंह ने शंभू सीमा पर किसान नेताओं से मुलाकात कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील की। पुलिस का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
किसान नेताओं ने की प्रशासन की आलोचना
पंधेर ने प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा, “यह सीमा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र जैसा लग रहा है। अगर सरकार ने केंद्रीय बल और ड्रोन तैनात किए हैं, तो यह उनकी मंशा को दर्शाता है।” उन्होंने कहा कि मार्च गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को समर्पित होगा, और शुक्रवार को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर शहीदी दिवस भी मनाया जाएगा। पहले जत्थे के बाद अन्य जत्थे भी दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। किसान नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि हरियाणा सरकार बल का प्रयोग करती है, तो आंदोलनकारी इसका शांतिपूर्ण विरोध करेंगे। किसानों के इस आंदोलन ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। यह देखना होगा कि सरकार किसानों की इन मांगों पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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