चुनावी दंगल में एक से बढ़कर एक पहलवान उतरने को आतुर हैं। सभी अपने-अपने अखाड़े में अभ्यास कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस सहित बसपा, आप, जजपा और इनेलो भी सियासी कसरत करने में किसी से पीछे नहीं हैं। सबका एक ही दावा है कि इस बार हरियाणा में उनकी ही सरकार बनने जा रही है। हालांकि मतदाता इस सच्चाई से वाकिफ है कि इनमें से किसी एक दल या गठबंधन की ही सरकार बनने जा रही है। वह भाग्यशाली कौन होगा, इसका फैसला एक अक्टूबर को प्रदेश की जनता करेगी। लेकिन सभी जी जान से एक दूसरे के खिलाफ माहौल बनाने में लगे हुए हैं। भाजपा जहां यह दावा करने में पीछे नहीं है कि पिछले दस साल में उनकी सरकार ने बिना खर्ची और बिना पर्ची के युवाओं को नौकरियां दी हैं। योग्यता और मेरिट के आधार पर पिछले दस साल में 1.35 लाख नौकरियां दी हैं। प्रदेश में जितने भी कच्चे कर्मचारी हैं, उनको 58 साल तक नौकरी करने की पक्की गारंटी दी है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या लाखों में है। वहीं कांग्रेस बेरोजगारी की दर को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है। इस बात में कतई शक नहीं है कि इस बार का विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों को लेकर लड़ा जाएगा। स्थानीय मुद्दों में बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की घटती आय प्रमुख हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश में 27.9 प्रतिशत बेरोजगारी है। देश के सभी राज्यों की अपेक्षा हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। इस बात को सेंटर फार मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट में दर्ज की गई है कि हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से तीन गुना ज्यादा बेरोजगारी है। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में मनोहर लाल इस आंकड़े को खारिज कर चुके हैं। उनका कहना था कि प्रदेश में पांच-छह प्रतिशत ही बेरोजगारी है। विपक्षी दलों ने उनकी इस बात का विरोध किया था। यह सच है कि प्रदेश में बेरोजगारी बहुत है, लेकिन उसका प्रतिशत क्या है, यह निष्पक्ष शोध का विषय है। इस बार के विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी एक निर्णायक भूमिका अदा करने वाली है, इसमें कतई शक नहीं है। विपक्षी दल अपनी सभाओं और रैलियों में बार-बार यही मुद्दा उठा रहे हैं, भाजपा सरकार अपने-अपने दावे पेश कर रही है। इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान किसानों के साथ किया गया व्यवहार भी निर्णायक भूमिका अदा करेगा। भाजपा ने भले ही सभी फसलों को एमएसपी पर खरीदने का फैसला करके किसानों को लुभाने का प्रयास किया है, लेकिन उनकी नाराजगी अब भी कायम है। वे हर हालत में एमएसपी पर गारंटी कानून चाहते हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा और जजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था।
संजय मग्गू