बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
होलकर वंश के साम्राज्य को कई वर्षों तक संभालने वाली अहिल्याबाई होलकर का नाम पूरे देश में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। अहिल्या बाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद के चोंट गांव में हुआ था। उनके पिता मनकोजी शिंदे एक बहुत ही साधारण किसान थे। लेकिन बचपन से ही निडर अहिल्या ने अपने जीवन काल में काफी दुख झेले थे। इसके चलते उन्हें जीवन भर संघर्ष करना पड़ा। कहा जाता है कि 29 साल की ही उम्र में वह विधवा हो गई थीं। वह अपने पति के साथ सती हो जाना चाहती थीं, लेकिन उनके ससुर मल्हारराव होल्कर ने उन्हें रोका था। कहा जाता है कि जब अहिल्या बाई नौ साल की थीं, तो उनके गांव चोंट के बाहर होल्कर राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर की सेना आई थी। सेना को देखने के लिए गांव और उसके आसपास के लड़के-लड़कियां इकट्ठे हो गए थे। तभी नौ साल की अहिल्या भीड़ को चीरकर मालवा शासक मल्हारराव के सामने आ खड़ी हुई। वह बहुत सुंदर नहीं थी और शिक्षित भी नहीं। उस समय उसके चेहरे पर मासूमियत के साथ-साथ निडरता विराजमान थी। मल्हारराव उसे देखते ही प्रभावित हो गए। उन्होंने उसे गोद में उठा लिया और पूछा-क्या चाहती हो बेटी। अहिल्या ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुम्हें देखने आई हूं। मल्हारराव ने पूछा कि तुम जानती हो, मैं कौन हूं? अहिल्या ने जवाब दिया- मल्हारराव होलकर। मेरे पिता ने बताया है। इसके बाद अहिल्या ने अपना नाम बताते हुए अपने पिता का परिचय दिया। मल्हारराव उससे प्रभावित हो चुके थे। उन्होंने पूछा-तुम मेरे पुत्र खांडेराव से शादी करोगी। यह सुनकर शर्माती हुई अहिल्या अपने घर चली गई। इसके एक साल बाद अहिल्या का विवाह खांडेराव से हुआ। बाद में अहिल्याबाई होलकर राज्य की महारानी बनी।
झोपड़ी से निकलकर महारानी बनने वाली अहिल्याबाई
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