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राहुल को दोषसिद्धि के साथ नसीहत भी सुप्रीमकोर्ट ने दी

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कल कांग्रेस के दिल्ली और अन्य प्रदेश कार्यालयों में जश्न का माहौल रहा। कार्यकर्ताओं और नेताओं ने खूब खुशियां मनाईं, मिठाइयां बांटी और डांस किया। सुप्रीमकोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 13 अप्रैल 2019 में कर्नाटक राज्य में रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि सभी चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों होते हैं? 19 अप्रैल 2019 को सूरत से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। 23 मार्च 2023 को सूरत मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई। 7 जुलाई 2023 को गुजरात हाईकोर्ट ने दोष सिद्धि पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी थी। अब जब राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर फिलहाल रोक लगा दी गई है, तो उनकी सांसदी बहाल हो जाएगी।

उनको बंगला भी वापस मिल जाएगा। वे संसद में भाग ले सकेंगे। राहुल गांधी के भाषण को लेकर दायर किए गए मुकदमे को लेकर पूरे देश की नजर थी। सुप्रीमकोर्ट क्या फैसला देता है, इसको लेकर सब उत्सुक थे। कोर्ट में जो कुछ हुआ, वह सब जनता के सामने है। अब जब राहुल को सुप्रीमकोर्ट से राहत मिल गई है, तो वह इस मुद्दे को आगामी लोकसभा चुनावों में भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। जब राहुल गांधी को संसद से अयोग्य घोषित करने के साथ-साथ सरकारी बंगला वापस ले लिया गया था, तब से राहुल गांधी जहां भी जाते थे, मोदी सरकार पर अपने से भयभीत होने और घर छीन लेने की बात कहने से नहीं चूकते थे। भाजपा कांग्रेस नेता के इस आरोप का कोई सटीक जवाब नहीं दे पा रही थी। प्रथम दृष्टया यही लगता है कि सचमुच राहुल गांधी का जितना अपराध था, उनको उससे ज्यादा बड़ी सजा दी गई। इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

यह सूरत मेट्रोपोलिटन कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट का फैसला था। इस पर कोई टिप्पणी की भी नहीं जा सकती है। इस पर टिप्पणी करने का हक सुप्रीमकोर्ट को है। सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की भी। उसने यही कहा कि राहुल गांधी को सजा देते समय यह ध्यान नहीं रखा गया कि उनको सजा देने से वायनाड के मतदाताओं को भी सजा मिल रही है। राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी गई, इसका भी दोनों अदालतों ने जिक्र नहीं किया। हालांकि सुप्रीमकोर्ट ने राहुल गांधी के बहाने देश  की राजनीतिक पार्टियों को भी संदेश दिया है कि जनप्रतिनिधियों को बोलते समय अपनी जुबान पर लगाम रखनी चाहिए।

जिस तरह सुप्रीमकोर्ट ने यह सवाल उठाया कि मोदी सरनेम मामले में मुकदमा दर्ज कराने वाले भाजपा से जुडेÞ लोग ही क्यों हैं। यह भी महत्वपूर्ण है। इस मामले में सवाल तो कई हैं, लेकिन उनके जवाब नदारद हैं। इसका जवाब भविष्य में मिलेगा। फिलहाल, राहुल को राहत मिली है, सजा से मुक्ति नहीं। अभी मामला सुना जाएगा। सजा तय की जाएगी या दोषमुक्त घोषित किया जाएगा, यह सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद पता चलेगा।

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