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HomeEDITORIAL News in Hindiअपने सिद्धांतों पर हमेशा 'अटल' ही रहे बाजपेयी

अपने सिद्धांतों पर हमेशा ‘अटल’ ही रहे बाजपेयी

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डॉ. योगिता जोशी
अटल बिहारी वाजपेयी  भारतीय राजनीति के एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिनकी गिनती देश के ईमानदार नेताओं में होती है। वे एक आदर्श राजनेता, ओजस्वी वक्ता, कुशल कवि और सच्चे देशभक्त थे। उनका जीवन सत्य, सेवा और त्याग का अनुपम उदाहरण है। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी एक साधारण परिवार से थे। अटल जी की सोच और आदर्श उन्हें असाधारण बना देते थे। उन्होंने अपनी शिक्षा ग्वालियर और कानपुर में पूरी की। प्रारंभ से ही उनकी रुचि साहित्य और राजनीति में थी।
अटल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनसंघ से की। 1951 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से देश सेवा का प्रण लिया। 1957 में वे पहली बार लोकसभा के सदस्य बने। उनका राजनीतिक सफर संघर्षों और सफलताओं से भरा रहा। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। अटल जी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1996 में केवल 13 दिनों का था, लेकिन उन्होंने अपने धैर्य और दृढ़ता से देश को नई दिशा दी। 1998 से 2004 तक उनके नेतृत्व में भारत ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। पोखरण परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना और कश्मीर समस्या पर नीति उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि एक महान कवि और वक्ता भी थे। अगर वह साहित्य की दुनिया में रमे रहते तो एक बड़े रचनाकार के रूप में भी प्रतिष्ठा पाते। फिर भी साहित्य के जानकार लोग उनकी श्रेष्ठ कविताओं से परिचित हैं। कुछ तो लोगों को कंठस्थ भी हैं. उनकी कविताएं ‘मृत्यु या हत्या’, ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ और ‘गीत नया गाता हूं’ में देशभक्ति, मानवता और संवेदनशीलता की झलक मिलती है। उनके भाषणों में स्पष्टता, ओज और भावना का अनूठा मेल होता था। उनके भाषण भी बड़े काव्यात्मक हुआ करते थे जिसे सुनने के लिए विपक्ष के लोग भी चले जाते थे। हम कह सकते हैं कि वह राजनीति के अजातशत्रु थे। वे भाजपा के भले ही सदस्य थे मगर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल भी उन्हें बहुत मानते थे।
अटल को 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनकी सेवाओं और देश के प्रति योगदान का प्रतीक है। उन्होंने राजनीति को एक सेवा और देशहित का माध्यम माना। उनकी नीति सबका साथ, सबका विकास ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ। उनके निधन से भारत ने एक सच्चा देशभक्त और महान नेता खो दिया। उनकी विरासत हमेशा भारतीय राजनीति और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। गुजरात में जब एक बार दंगा हुआ, तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय वहां के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। तब अटल ने उनसे कहा था  कि आप राजधर्म का पालन करें। उनकी यह पंक्ति काफी पसंद की गई थी। वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी अटल जी की पहली पसंद थे।
वाजपेयी जी एक ऐसे युगपुरुष थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में शुचिता, नैतिकता और मानवता के नए आयाम स्थापित किए। वह हमेशा इस बात के पक्षधर रहे कि भारत और पाकिस्तान दो भाइयों की तरह एक साथ प्रेम से रहें। उनके प्रधानमंत्री रहते हुए कारगिल युद्ध हुआ तो भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। अटल जी विश्व शांति के समर्थक थे, लेकिन अगर देश पर शत्रु हमला करे तो वे मुंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहते थे। संसद में उनके कटाक्ष, उनके काव्यात्मक भाषण भुलाए नहीं भूलते। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चे नेता वही होते हैं, जो देश और समाज के हित में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। उनकी दूरदृष्टि और अद्भुत व्यक्तित्व ने भारत को एक नई पहचान दी। अटल जी सदैव हमारे दिलों में अमर रहेंगे।
(यह लेखिका के निजी विचार हैं।)

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