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ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच फंसे बलूची

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ईरान के मिसाइल हमले के जवाब में बुधवार देर रात पाकिस्तान ने भी एयर स्ट्राइक की। इस एयर स्ट्राइक में चार बच्चों और तीन महिलाओं सहित नौ लोगों की मौत हुई है। वैसे तो ईरान ने मिसाइल हमला जैश अल अद्ल आतंकवादी समूह के ठिकानों पर हमला किया था, लेकिन इसे पाकिस्तान ने अपनी संप्रभुता पर हमला माना और एयरस्ट्राइक किया। दरअसल, बलूचिस्तान की बलूच जनजातियों के स्वतंत्रता आंदोलन से तीनों ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान परेशान हैं। हालांकि अब बलूचिस्तान को मुक्त कराने की आकांक्षा पालने वाले समूहों ने हथियार उठा लिया है और ये तीनों देश इन्हें आतंकवादी समूह मानते हैं।

बलूचिस्तान को स्वतंत्र कराने का प्रयास कोई आज से शुरू नहीं हुआ था। जब 14-15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और भारत आजाद हुए, तो पाकिस्तान ने वर्ष 1948 को बलूचिस्तान को अपना उपनिवेश बना लिया। बलूच जनजाति बलूचिस्तान क्षेत्र के लोगों का एक समूह है। यह क्षेत्र तीन क्षेत्रों में बंटा हुआ है। इसका उत्तरी भाग वर्तमान अफगानिस्तान में है। पश्चिमी क्षेत्र ईरान में है, जो सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र कहलाता है। बाकी हिस्सा पाकिस्तान में है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और पाकिस्तान बनने के बाद से अब तक उपेक्षित रहा है।

पाकिस्तान में उत्पादित होने वाले कुल गैस का 40 प्रतिशत हिस्सा बलूचिस्तान में होता है। जब 1970 में ईरानी क्रांति हुई और देश  में शिया शासन कायम हुआ तो सुन्नी बहुल बलूच इलाके में दमन और उपेक्षा शुरू हुई। इसकी वजह से ईरान वाले हिस्से में असंतोष पैदा होना शुरू हुआ। उधर पाकिस्तान वाले हिस्से में पाकिस्तान बनने के बाद से ही असंतोष पनप रहा था। सिस्तान-बलूचिस्तान, बलूचिस्तान और अफगानिस्तान वाले हिस्से में अपने को स्वतंत्र देखने की चाह रखने वाले बलूचियों ने जुनदुल्लाह और जैश-अल-अद्ल जैसे सुन्नी आंतकी समूहों का जन्म हुआ।

इन आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान में शरण ली। इस क्षेत्र के दोनों ओर के लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं। सीमा के दोनों ओर आतंकवादी समूहों को पनाह भी देते हैं। यह स्थिति दोनों तरफ है। पाकिस्तान में सक्रिय गुट ईरान में पनाह लेता है और ईरान में सक्रिय गुट पाकिस्तान में शरण लेता है। इन बलूचियों के स्वाधीनता संग्राम के नाम पर चलाए जा रहे हिंसक आंदोलन से दोनों देश परेशान हैं, लेकिन एक दूसरे के साथ मिल बैठकर मामले को सुलझाने को तैयार नहीं हैं। बलूचियों में स्वााधीनता और राष्ट्रीयता की भावना इतनी प्रबल है कि दोनों देशों में रहने वाले बलूची मौका पड़ने पर एक दूसरे की जान देकर भी मदद करते हैं। यही वजह है कि ईरान और पाकिस्तान अपने-अपने यहां सक्रिय जुनदुल्लाह और जैश-अल-अद्ल जैसे संगठनों पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। अब जब पाकिस्तान ने ईरानी हमले का जवाब दिया है, तो यह कैसा रुख अख्तियार करेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है।

-संजय मग्गू

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