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त्यौहार के दिनों में मिलावटी मिठाइयों और खाद्य पदार्थों से रहें सावधान

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संजय मग्गू
होली उल्लास और उमंग का त्यौहार है। यह त्यौहार पूरे भारत में सदियों से मनाया जा रहा है। इस दिन सारे लोग होलिकोत्सव मनाते हैं। एक दूसरे के रंग और गुलाल लगाते हैं। गले मिलते हैं और साल भर के अपने गिले शिकवे दूर कर लेते हैं। खूब मिठाइयां और पकवान बनाते थे और होली के अवसर पर आने वाले मित्रों और रिश्तेदारों को खिलाते थे। लेकिन आज खाने-खिलाने का तरीका थोड़ा बदल गया है। अब लोग घर में मिठाइयां और पकवान बनाने की जगह बाजार पर निर्भर रहने लगे हैं। बाजार भी लुभाने के लिए नित नए हथकंडे अपनाता है। बाजार के लुभावने विज्ञापन और नारों ने होली हो या दिवाली, खान-पान के तौर-तरीकों को बदल दिया है। अब पापड़, चिप्स, गुझिया और दूसरी मिठाइयां तक बाजार से खरीदकर लाई जाती हैं। अधिक मांग को देखते हुए बाजार ने भी पौष्टिकता, शुद्धता और अन्य बातों का ध्यान रखना बंद कर दिया है। बाजार में ज्यादातर मिठाइयां मिलावटी मावा, मैदा और अन्य वस्तुओं का उपयोग करके चिप्स, पापड़ और मिठाइयां बना रहा है। होली में बस दो दिन ही बचे हैं। बासी और मिलावटी मिठाइयों की बाजार में भरमार है। ज्यादातर लोगों ने तो भीड़-भाड़ से बचने के लिए पहले ही खरीदकर रख लिए हैं। एक तो पहले से ही बासी और मिलावटी मिठाई दुकानदार ने दी और दो-चार दिन पहले खरीदकर लोगों ने उसे और बासी बना दिया। ऐसी मिठाइयां निश्चित तौर पर सेहत पर भारी पड़ने वाली हैं। गुलाब जामुन, रसगुल्ले, पनीर, बर्फी और मिल्क केक जैसी तमाम मिठाइयों में मिलावटी वस्तुओं का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। वैसे मिलावटी सामान बेचने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। फूड एंड सेफ्टी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी त्यौहारों के दिनों यदि थोड़ी सक्रियता दिखाएं तो मिलावटी खाद्य पदार्थों को बिकने से रोका जा सकता है। कहने को तो कुछ दुकानों से सैंपल लिए जाते हैं जिन्हें जांच के लिए भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट आने में काफी दिन लग जाते हैं। तब तक दुकानदार अपना सामान बेच चुका होता है। जब भी विभागीय अधिकारियों से इस मामले में शिकायत की जाती है, तो उनका यही जवाब होता है कि मिठाइयों और खाद्य पदार्थों की समय-समय पर चेकिंग की जाती है। नमूना फेल होने पर कार्रवाई की जाती है। नमूना यदि अनसेफ, मिस ब्रांड या सब स्टैंडर्ड हो, इन पर अलग-अलग जुर्माना और सजा का प्रावधान है। अनसेफ मिठाई या खाद्य पदार्थ होने पर छह महीने की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। वहीं मिस ब्रांड मामले में तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। यदि कोई सैंपल सब स्टैंडर्ड पाया गया, तो उस दुकानदार पर एक लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।

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