संजय मग्गू
भारतीय इतिहास में प्रथम गणराज्य के साक्षी बिहार के युवा इन दिनों आंदोलित हैं। वह बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को लेकर पिछले काफी दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। इन युवाओं की मांग सिर्फ इतनी है कि 912 केंद्रों पर बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा दोबारा करवाई जाए। रविवार को पटना के गांधी मैदान में जमा हुए हजारों छात्रों पर जिस तरह बर्बरता से लाठियां बरसाई गईं, सर्दी में वाटर कैनन से प्रहार किया गया, जिसे देखकर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति द्रवित हो जाएगा। इन युवाओं पर तीन बार लाठीचार्ज किया गया है। पटना के गर्दनीबाग में पिछले 18 दिसंबर से आंदोलन कर रहे बीपीएससी छात्रों को न्याय दिलाने का जिम्मा लेकर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भी रविवार को गांधी मैदान में पहुंचे थे। लेकिन जब छात्र-छात्राओं पर बर्बरता से लाठियां बरसाई गईं उससे पहले ही प्रशांत किशोर गांधी मैदान से निकल गए। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि जब नेतागिरी झाड़नी थी, तो प्रशांत किशोर युवाओं के बीच थे, लेकिन जब आभास हुआ कि लाठीचार्ज होने वाला है, तो वहां से निकल लिए। युवाओं को लाठी खाने के लिए अकेला छोड़ देने वाला नेता पूरे बिहार की तस्वीर बदलने का दावा करता फिर रहा था। 2 अक्टूबर 2022 को प्रशांत किशोर यानी पीके ने जनसुराज यात्रा निकाली थी। रविवार को लाठीचार्ज में घायल अपने साथी को कंधे पर लादकर ले जाते हुए एक युवा का यह कथन कितना मार्मिक है कि क्या भइया, हम स्टूडेंट लाठी खाने के लिए ही बने हैं? एक दुबली पतली छात्रा ने कहा कि साल 2024 में हमारी परीक्षा है, लेकिन साल 2025 में उनकी (नीतीश कुमार) परीक्षा है। दरअसल, जिस तरह रविवार से ही टीवी चैनलों पर बार-बार इस लाठी चार्ज की घटना को दिखाया जा रहा है, उससे एक संदेह यह भी पैदा हो रहा है कि मीडिया ने कहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को बिगाड़ने के लिए कमर तो नहीं कस ली है। मीडिया सिर्फ उन्हीं मुद्दों को उठाता है जिसमें सत्ता पक्ष की वाहवाही हो और विपक्ष की नकारात्मक छवि बने। असल में एक दिन बाद शुरू होने वाले नए साल में अक्टूबर तक बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। उस छात्रा का कहना सही है कि सन 2025 में नीतीश कुमार की परीक्षा है। नीतीश कुमार इन दिनों एनडीए के साथ हैं। पहले भी एनडीए के साथ थे, लेकिन बीच बीच में वह यूपीए (वर्तमान में इंडिया गठबंधन) में आते-जाते रहे हैं। भाजपा की कोशिश इस बार अपनी पूर्ण सरकार बनाने की है। बिहार भाजपा के नेता गाहे-बगाहे यह बात कहने से नहीं चूकते हैं कि अबकी बार बिहार में भाजपा सरकार बनेगी। बहरहाल, बिहार में बीपीएससी के परीक्षार्थियों का यह आंदोलन क्या गुल खिलाएगा, यह तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन इन युवाओं के सहारे राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद शुरू हो गई है। इस मुद्दे को जो जितना तूल देकर अपने को युवाओं के साथ दिखाने में सफल होगा, उसको बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ फायदा जरूर होगा।
क्या रंग लाएंगी बिहार में युवाओं की पीठ पर पड़ी लाठियां?
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