Friday, November 8, 2024
28.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiवसुंधरा को आगे करके कोई रिस्क नहीं लेना चाहती भाजपा

वसुंधरा को आगे करके कोई रिस्क नहीं लेना चाहती भाजपा

Google News
Google News

- Advertisement -

राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की कुछ मायने में एक जैसी स्थिति थी, लेकिन भाजपा ने वसुंधरा राजे सिंधिया को दोनों समितियों में जगह न देकर एक तरह से दरकिनार कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने बगावत पर उतारू सचिन पायलट को कांग्रेस कार्य समिति में शामिल करके उन्हें अपना लिया है। वसुंधरा राजे सिंधिया को प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति और प्रदेश संकल्प पत्र समिति में शामिल न करने से सिंधिया समर्थकों में काफी नाराजगी है। सिंधिया ने हालांकि अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। राजस्थान के राजनीतिक गलियारे में चर्चा इस बात की हो रही है कि भाजपा पहली बार राजस्थान में कैंपेनिंग कमेटी की घोषणा करने जा रही है।  चुनावों में बीजेपी की कैंपेनिंग कमेटी को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर सबकी निगाहें अब कैंपेनिंग कमेटी की घोषणा पर टिकी हुई हैं।

यदि भाजपा कैंपेनिंग कमेटी में वसुंधरा राजे को शामिल नहीं करती है, तो यही माना जाएगा कि भाजपा में अब वसुंधरा राजे का कद वह नहीं रहा, जो वर्ष 2018 में हुआ करता था। राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि वर्ष 2018 में राजस्थान चुनाव वसुंधरा राजे सिंधिया के चेहरे पर लड़ा गया था। काफी प्रयास करने के बावजूद राजस्थान में भाजपा को करारी हार मिली थी। इस हार का ठीकरा सिंधिया विरोधियों ने उनके नाम पर फोड़ा था। बीजेपी ने प्रदेश संकल्प पत्र समिति का संयोजक बीकानेर से सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को सौंपी है। राजस्थान में अर्जुनराम मेघवाल बीजेपी के बड़े दलित चेहरा हैं। राजनीति में आने से पहले वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं।

संकल्प पत्र समिति में राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी और राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा हैं। ये दोनों ही नेता एक समय पर वसुंधरा राजे के धुर विरोध रहे हैं। थोड़ी देर के लिए मान लिया जाए कि भाजपा कैंपेनिंग कमेटी में वसुंधरा राजे को शामिल भी कर लेती है, तो उससे उनका कोई बहुत ज्यादा कद नहीं बढ़ जाएगा। कैंपेनिंग कमेटी में भाजपा के देश भर वरिष्ठ नेता और स्टार प्रचारक होंगे। उनके सामने वसुंधरा राजे को महत्व मिल पाएगा, इसकी संभावना बहुत कम है। राजनीतिक गलियारे में दबी जुबान से यह भी चर्चा है कि जब राजस्थान भाजपा के बड़े चेहरे भैरोसिंह शेखावत को उपराष्ट्रपति बनाया गया, तो इससे पहले वह वसुंधरा राजे सिंधिया को राजस्थान की राजनीति में उतार चुके थे।

शेखावत की विश्वसनीय रही वसुंधरा राजे को लालकृष्ण आडवानी का भी विश्वास हासिल था। उन दिनों वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। सिंधिया के महारानी होने का गुरुर मोदी को पसंद नहीं आया था। यह बात कितनी सही है, इसके बारे में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन यह बात सही है कि भाजपा इस बार राजस्थान में वसुंधरा राजे के चेहरे को आगे करके कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। वह मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा किए बगैर प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को आगे करके चुनाव लड़ना चाहती है। यही वजह है कि राजे को प्रमुखता नहीं दी जा रही है।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

बोधिवृक्ष

धन-संपत्ति से नहीं मिलता सच्चा सुखअशोक मिश्रहमारे देश में प्राचीन काल से ही धन-संपत्ति को हाथ की मैल माना जाता था। मतलब यह कि...

India-Canada: जयशंकर की प्रेस वार्ता कवर करने वाले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया हाउस को कनाडा ने बैन किया

कनाडा ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया पर लगाई पाबंदीभारत ने बृहस्पतिवार को बताया कि कनाडा ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनकी ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग...

ICC Rating: चेन्नई की पिच ‘बहुत अच्छा’, कानपुर की आउटफील्ड ‘असंतोषजनक’

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने भारत और बांग्लादेश के बीच चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेले गए टेस्ट मैच की पिच को 'बहुत...

Recent Comments