देश रोज़ाना: जीवन में धन की महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका जीवन में बहुत महत्व है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यदि धन नहीं है, जीना व्यर्थ हो गया है। इस दुनिया में नब्बे फीसदी लोग ऐसे हैं, जो सिर्फ जीवन यापन भर का पैसा कमा पाते हैं। इसके बावजूद वे प्रसन्न मन से जीवन यापन करते हैं। एक बार की बात है। एक व्यापारी का सारा धन डूब गया। उसने एक नए व्यापार में अपना सारा धन लगा दिया और संयोग से उस नए व्यापार में उसे घाटा हो गया। उसके पास कुछ भी नहीं बचा। संयोग से उन्हीं दिनों एक संत उस इलाके में आए।
वह लोगों को कर्म की शिक्षा देते रहते थे। जब संत के बारे में व्यापारी ने सुना तो वह उनके पास गया और अपनी पूरी कहानी बताकर रोने लगा। संत ने सब कुछ बड़े ध्यान से सुना और उन्होंने कहा कि इसमें रोने की क्या बात है? संत की बात सुनकर व्यापारी ने कहा कि मेरा सब कुछ लुट गया और आप पूछ रहे हैं कि इसमें रोने की क्या बात है। संत ने कहा कि यदि धन तुम्हारा होता, तो तुम्हारे पास से जाता ही क्यों? यह बताओ, जब तुम पैदा हुए थे, तो तुम कितना धन लेकर पैदा हुए थे। यह सुनकर व्यापारी ने कहा कि आप भी अजीब सवाल पूछते हैं।
कोई पैदा होते समय धन लेकर पैदा होता है क्या? यह सुनकर संत ने एक बार फिर पूछा, अच्छा तुम मरते समय कितना धन ले जाने की कामना करते हो? इस पर व्यापारी भड़क गया। उसने कहा कि कोई मरने के बाद यहां से धन लेकर जाता है क्या? संत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, फिर तुम चिंता क्यों करते हो? व्यापारी ने कहा कि अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करूंगा? संत ने कहा कि तुम मेहनत करो। इतना तो अर्जित कर ही लोगे जितने में अपने परिवार का पेट भर सको। यह सुनकर व्यापारी समझ गया कि संत उसे क्या समझाना चाहते हैं।
– अशोक मिश्र