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नोबल पुरस्कार विजेता होने से पहले मां हूं

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
फ्रू मार्टा ओउली नामक उपन्यास की शुरुआत ‘मैं अपने पति के प्रति बेवफा रही हूं’ से करने वाली नार्वे की उपन्यासकार सिग्रिड अनसैट की इस रचना को छापने से प्रकाशकों ने पहले मना कर दिया था। बाद में जब अनसैट की ख्याति बढ़ी तो प्रकाशकों ने मांगकर पुस्तक को प्रकाशित किया। अनसैट का जन्म 20 मई 1882 में डेनमार्कमें हुआ था। जब वह दो साल की थीं, तब उनके माता-पिता नार्वे चले गए थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति क्रिस्टिन लैवरन्सडैटर है। इस उपन्यास में मध्य युग में नॉर्वे के जीवन के बारे में एक महिला के जन्म से लेकर मृत्यु तक के अनुभवों को तीन खंड में चित्रित किया गया है। उन्हें 1928 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जब उन्हें नोबल पुरस्कार देने की घोषणा की गई, तो बहुत सारे पत्रकार उनके घर पहुंचे। उस समय रात हो चुकी थी। पत्रकारों ने किसी के निजी जीवन और रात होने का भी ख्याल नहीं रखा। हालांकि, उस समय तक उपन्यासकार अनसैट को नोबल पुरस्कार दिए जाने की बात पता चल चुकी थी। पत्रकारों ने जब उनके घर का दरवाजा खटखटाया तो थोड़ी देर बाद सिग्रिड अनसैट ने दरवाजा खोला। पत्रकारों ने उनसे कुछ पूछना चाहा, लेकिन तभी उन्होंने कहा कि आप लोगों के इतनी रात आने का मकसद मैं समझ सकती हूं। लेकिन मुझे माफ करें। यह समय अपने बेटे को दूध पिलाने का है। यह समय उसके दूध पीकर सो जाने का है। मैं नोबल पुरस्कार मिलने से काफी खुश हूं, लेकिन मां होने के नाते मैं अपने दायित्व को नहीं भूल सकती हूं। आप लोग कल सुबह आइए। मैं आपकी बातों को जवाब दूंगी। यह कहकर अनसैट ने विनम्रता से पत्रकारों के सामने हाथ जोड़ दिए। पत्रकार उनकी यह बात सुनकर भावविभोर हो गए।

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