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नेताजी बोले, बाढ़ पीड़ितों की मदद जरूरी

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के ऐसे विप्लवी योद्धा थे जिनकी मौत का रहस्य आज तक उजागर नहीं हुआ है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ताइवान विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 में नेताजी की मौत हो गई थी। हालांकि उनकी मौत की पुष्टि कभी नहीं हुई। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से बचने के लिए ताइवान दुर्घटना को अंजाम दिया था और वहां निकल गए थे। भारत को आजाद कराने के लिए जब वह रूस पहुंचे थे, तो वहां के शासक स्टालिन ने उन्हें कैद कर लिया था। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया था। यह तथ्य सही नहीं है। जापान में आजाद हिंद फौज का गठन रास बिहारी बोस ने किया था। उनकी उम्र हो गई थी जिसकी वजह से उन्होंने भारतीय क्रांतिकारियों से एक युवा क्रांतिकारी को जापान भेजने का अनुरोध किया था। क्रांतिकारियों की उसी योजना के तहत नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जापान भेजा गया था और जिसका बाद में उन्होंने नेतृत्व किया। 40 हजार से अधिक सैनिकों के साथ नेताजी म्यांमार (पुराना नाम बर्मा) के रंगून शहर तक आ पहुंचे थे। रंगून पहुंचने के बाद हालात बिगड़ गए थे और नेताजी को ताइवान दुर्घटना जैसी घटना का सहारा लेना पड़ा। नेताजी किशोरावस्था से ही दीन दुखियों की सेवा करने लगे थे। जब बंगाल में भारी बाढ़ से भयंकर तबाही मची, तो नेताजी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने लोगों से मदद मांगकर बाढ़पीड़ितों की सेवा की। उनके पिता ने एक दिन कहा कि घर में दुर्गा पूजा है, तुम्हारा रहना जरूरी है। तो नेताजी ने कहा कि दुर्गा की पूजा मेरे बगैर हो सकती है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की सेवा मूर्ति पूजा से कहीं ज्यादा जरूरी है।

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