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सनक की सीमा तक काम करते थे एडिसन

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
अमेरिका में 1093 आविष्कारों का पेटेंट कराने वाले थामस अल्वा एडिसन दुनिया के महान आविष्कारकों में माने जाते हैं। उनका जन्म 11 फरवरी 1847 में अमेरिका के ओहियो राज्य में हुआ था। एडिसन बचपन से ही जिज्ञासु, कुशाग्र बुद्धि और नित नई-नई खोज करने की प्रवृत्ति वाले थे। एडिसन जब छोटे थे, तभी से उनके मन में अजीब अजीब विचार आने लगे थे। चिड़िया को उड़ते देखकर वह भी उड़ने के बारे में सोचते थे। चिड़िया के कीड़े-मकोड़े खाते देखकर सोचा करते थे कि शायद इससे उसे उड़ने की शक्ति मिलती है। यह प्रयोग भी अपने एक साथी पर किया। उन्हें काम करने की सनक की हद तक आदत थी। विद्युत बल्ब, टेलीफोन जैसे न जाने कितने आविष्कार उनके नाम दर्ज हैं। उन्होंने अपने आविष्कारों से दुनिया की रंगत ही बदल दी थी। एक बार की बात है। वह अपनी प्रयोगशाला में कई दिन से लगे हुए थे। घर ही नहीं गए थे। कई दिनों बाद जब वह प्रयोगशाला से निकले तो उनकी पत्नी ने शिकायती लहजे में कहा कि कभी-कभार अपने काम से छुट्टी भी ले लिया करो। हमेशा काम में ही जुटे रहते हो। उन्होंने पूछा कि छुट्टी लेने से क्या होगा? उनकी पत्नी ने कहा कि जहां तुम्हारा मन करे, घूमने जाओ। मौज मस्ती करो। उनकी पत्नी उनके अत्यधिक काम करने की प्रवृत्ति से चिढ़ी रहती थी। वह चाहती थी कि वह बाहरी दुनिया से भी ताल्लुक रखें। फिर एडिसन ने कहा कि ठीक है। मुझे जहां जाना अच्छा लगता है, मैं वहीं चला जाता हूं। यह कहकर वह प्रयोगशाला में घुस गए। तभी उन्हें पता चला कि उनके कारखाने में आग लग गई है और सब कुछ जलकर राख हो गया है। इस पर एडिसन ने कहा कि यह तबाही की भी बड़ी कीमत होती है। इसमें हमारी गलतियां भी छिप जाती हैं। इसके तीन महीने बाद ही एडिसन ने टेलीफोन का आविष्कार कर लिया।

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