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भारत के अनोखे उद्योगपति वालचंद

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
वालचंद हीराचंद दोशी को भारतीय उद्योग जगत में पहली कार फैक्ट्री, पहला आधुनिक शिपयार्ड और पहला विमान कारखाना शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के संस्थापक वालचंद हीराचंद दोशी ही थे। वालचंद का जन्म सोलापुर में सेठ हीराचंद नेमचंद दोशी और उनकी पहली पत्नी राजू के घर हुआ था। दोशी परिवार मूलरूप से गुजरात के वांकानेर का रहने वाला था, लेकिन बाद में सोलापुर में आकर बस गया था। हीराचंद मूल रूप से कपास का कारोबार और लोगों को उधार पर पैसे देने का काम करते थे। लेकिन वालचंद ने अपने पिता के कारोबार के अलावा कुछ करने की ठानी और वह एक ठेकेदार बन गए। सन 1926 में ब्रिटिश हुकूमत के अंग्रेज अफसर सुरंग वगैरह बनाने का काम आमतौर पर भारतीयों को नहीं दिया करते थे। उन्हें विश्वास नहीं था कि भारतीय ठेकेदार ठीकठाक सुरंग बना सकते हैं। इस दौरान वालचंद को पता चला कि ब्रिटिश हुकूमत का रेलवे विभाग भोरघाट में सुरंग बनाकर रेलवे ट्रैक बिछाने की योजना बना रही है। बस, फिर क्या था? वालचंद पहुंच गए चीफ इंजीनियर के पास। उन्होंने चीफ इंजीनियर से कहा कि क्या वह सुरंग बनाने का ठेका हमारी कंपनी को देंगे। यह सुनते ही अंग्रेज चीफ इंजीनियर हंस पड़ा और बोला, क्या यह काम आपसे हो पाएगा? आप तो भारतीय हैं। भारतीयों को सुरंग खोदने की तकनीकी के बारे में कोई जानकारी होती भी है? यह सुनकर वालचंद पहले तो आश्चर्य चकित रह गए। लेकिन बाद में उन्होंने हठ करके वह ठेका 42 लाख रुपये में लिया और सिर्फ दो साल में ही वह सुरंग बनाकर दी। उनके काम को देखकर अंग्रेज अफसर भी दंग रह गए। अंग्रेजी शासन में भी भारतीयों की धाक जम गई।

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