बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
महात्मा बुद्ध को कई नामों से जाना जाता है। कुछ लोग उन्हें तथागत कहते हैं,तो कोई गौतम बुद्ध। कुछ लोग शाक्य मुनि कहकर पुकारते हैं,तो कोई सिद्धार्थ गौतम। उनको मानने वाले बौद्ध उन्हें भगवान मानकर पूजा करते हैं। यह सही है कि महात्मा बुद्ध का जन्म भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। भारतीय जन जीवन को महात्मा बुद्ध ने बहुत अधिक प्रभावित किया। एक समय तो बौद्ध धर्म भारत के अलावा कई देशों तक फैल गया था। आज भी कई देशों में बौद्ध धर्म उनका राष्ट्रीय धर्म है। एक बार की बात है। महात्मा बुद्ध का एक प्रिय शिष्य था सुभूति। सुभूति को अपने गुरु महात्मा बुद्ध पर अटूट विश्वास था। वह महात्मा बुद्ध से इतना प्रभावित था कि वह आजीवन उनके बताए रास्ते पर चलने को तैयार था। वह लोगों में महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार करना चाहता था। महात्मा बुद्ध उसकी भावनाओं को समझते थे। एक दिन सुभूति ने बुद्ध से कहा कि वह आपकी शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करना चाहता है। उसे अनुमति दी जाए। उसकी बात सुनकर तथागत बोले, तुम भले ही मीठी-मीठी और सुंदर बातें करो, लेकिन जिन्हें तुम शिक्षित करना चाहते हो, वह तुन्हारी निंदा और आलोचना करेंगे। शिक्षक बनना आसान नहीं है। तब सुभूति ने कहा कि मैं प्रसन्न हो जाऊंगा कि उन्होंने कम से कम मुझ पर कोई आरोप नहीं लगाया। बुद्ध बोले, यदि उन्होंने आरोप लगाए तो? सुभूति ने कहा कि कम से कम वे मेरी पिटाई तो नहीं करेंगे। बुद्ध ने कहा कि यदि पिटाई कर दें, तब? सुभूति ने कहा कि मैं उनका आभारी रहूंगा कि उन्होंने जान से नहीं मारा। बुद्ध फिर बोले, यदि उन्होंने जान से मार दिया, तब क्या होगा? सुभूति ने कहा कि यह तो मेरा सौभाग्य होगा कि मैं इस मार्ग पर मरकर निर्वाण पा जाऊं। बुद्ध ने उसे शिक्षक बनने की अनुमति दे दी।
बुद्ध ने सुभूति को दी शिक्षक बनने की अनुमति
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