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इंसानी दिमाग का मुकाबला कर सकता है मशीनी दिमाग?

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संजय मग्गू
विज्ञान ने बहुत अधिक तरक्की कर ली है। चंद्रमा, सूर्य और मंगल ग्रहों तक अपने यान भेज रहा है। ग्रहों पर बस्तियां बसाने की तैयारी हो रही है। हमारी अपनी मिल्की वे गैलेक्सी से बाहर की गैलेक्सियों में ताकझांक करने की तैयारी में हमारी दुनिया के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। पृथ्वी का कोना-कोना खंगाल चुके वैज्ञानिकों ने जब से एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आविष्कार किया है, जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव आने लगा है। इस बदलाव में कुछ सकारात्मक माना जा रहा है, तो कुछ पूरे मानव समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका भी जाहिर कर रहे हैं। आवागमन के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। अब तो सेल्फ ड्राइविंग कारों का निर्माण होने लगा है। इन कारों को अपना गंतव्य बताना होगा या इनकी मेमोरी में फीड करना होगा और यह चल पड़ेंगी अपने आप गंतव्य की ओर। वैसे यह देखा जाए, तो आश्चर्यजनक सुविधा है। ऐसी कार मालिकों को ड्राइवर नहीं रखना पड़ेगा। ड्राइवर की छुट्टी के दिन खुद ड्राइव करने या दूसरा ड्राइवर खोजने के झंझट से छुटकारा मिल गया। नियत समय से ज्यादा समय तक रुकने पर उसे ओवर टाइम देने से भी फुरसत मिल गई। लेकिन कुछ सवाल हैं जो समाज के लोगों को चिंतित कर रहे हैं। एआई द्वारा अपने आप चलने वाली कारें तब क्या करेंगी, जब अचानक उनके रास्ते में कोई बच्चा, बुजुर्ग या भीड़ आ खड़ी होगी? अपने आप चलने वाली कारों में फीड किया गया प्रोग्राम ऐसी स्थिति में क्या निर्णय लेगा? अचानक रास्ते में गड्ढा आने पर सिस्टम का क्या फैसला होगा? ऐसी बहुत सारे सवाल हैं जिनका जवाब अभी मिलना बाकी है। भारत में कुछ कंपनियां ऐसी कारों को लेकर परीक्षण कर रही हैं। अमेरिका सहित कुछ देशों में तो ऐसी कारों का उपयोग भी शुरू हो गया है। इन कारों का निर्माण करने वाली कंपनियों का दावा है कि ऐसी कारों की वजह से हादसों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। खुद से चलने वाली कार से यदि कोई हादसा होता है और किसी की मौत होती है, तो मुकदमा किस पर किया जाएगा? यह सवाल भी है। आम तौर पर वाहन चालक पर ही कोई हादसा होने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है। सामान्य तौर पर वाहन चालक सबसे पहले अचानक सड़क पर आ जाने वाले को बचाने की कोशिश करता है। सड़क पर चल रही गाड़ी के आगे यदि कोई आ जाता है, तो चालक सबसे पहले ब्रेक लगाता है, लेकिन एआई से संचालित कार में फीड़ प्रोग्राम क्या फैसला करेगा, यह शायद तय नहीं है। ऐसी कारों में जो प्रोग्राम फीड किया जाता है, उसके मुताबिक सबसे पहले कार में सवार लोगों की जान बचाने का प्रयास किया जाएगा। एक इंसानी दिमाग से बेहतर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को साबित करने की कोशिश आज की जा रही है। लेकिन लोग यह भूल रहे हैं कि कृत्रिम बुद्धि में संवेदनशीलता नहीं होती है। वहीं मनुष्य का दिमाग पूरी तरह संवेदनशील होता है।

संजय मग्गू

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