पिछले कई वर्षों से देश में साइबर क्राइम के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता है, जब देश और प्रदेश में साइबर क्राइम की खबरें न आती हों। कहीं किसी के बैंक खाते से लाखों की रकम उड़ा ली जाती है, तो कहीं एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करके खाता खाली कर दिया जाता है। कहीं मोबाइल हैक करके सारी जानकारी लेकर उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है। लोगों की निजी जिंदगी में हस्तक्षेप करके उन्हें शिकार बनाया जा रहा है। यौन शोषण जैसे अपराध भी हो रहे हैं। युवतियां और नाबालिग लड़के-लड़कियां साइबर क्राइम को अंजाम देने वालों के आसानी से शिकार हो रहे हैं। यही वजह है कि सरकार को साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए कई फैसले लेने पड़े हैं। इलेक्ट्रानिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को दो घोषणाएं की हैं। पहली घोषणा तो यह है कि अब देश के दस लाख डीलरों का सत्यापन किया जाएगा।
मोबाइल सिम बेचने वाले सभी डीलरों का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य किया जा रहा है। पुराने डीलर्स को भी अब नए सिरे से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इन डीलरों के रजिस्ट्रेशन और सत्यापन की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता कंपनी की होगी। इससे सेवा प्रदाता कंपनी भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकेगी। सिम विक्रेता को नए नियमों का पालन हर हालत में करना होगा। यदि कोई सिम विक्रेता नियमों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उस पर दस लाख रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। नए नियम लागू करने की जरूरत इसलिए भी पड़ रही है क्योंकि पिछले कई सालों से फर्जी दस्तावेज जमा करके सिम लेने वाले कई तरह के अपराधों में लिप्त पाए गए हैं। पिछले तीन महीने में ही 67 हजार डीलरों को काली सूची में डालना पड़ा क्योंकि इनके द्वारा बेचे गए सिम का दुरुपयोग होता पाया गया है। सिम लेने वाले व्यक्ति के डाटा भी फर्जी पाए गए थे।
ऐसी हालत में यदि सरकार बिना पूरी तरह जांच किए सिम देने पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है, तो यह वाकई प्रशंसनीय है। मंत्री वैष्णव ने दूसरी घोषणा यह की है कि अब से सिम की थोक बिक्री बंद की जा रही है। लोग एक ही आईडी पर कई सिम ईश्यू कराकर ले रहे थे। इससे साइबर क्राइम और अन्य कई तरह के अपराधों में बढ़ोतरी की आशंका है। यदि किसी कंपनी या व्यक्ति को एक की जगह कई सिम की जरूरत है, तो उसे बिजनेस कनेक्शन लेना होगा।
सिम विक्रेता भी बिजनेस कनेक्शन का पूरा डाटा जमा कराएगा और इसकी जानकारी सरकार को उपलब्ध कराएगा। थोक सिम बिक्री पर रोक का फैसला एक अक्टूबर से लागू किया जा सकता है। जल्दी ही इस संबंध में अधिसूचना जारी की जा सकती है। सभी डीलरों को रजिस्ट्रेशन और नियमों के पालन के लिए छह महीने दिए जा सकते हैं। वाकई यह फैसला काफी जनहितैषी है। बस, जरूरत है इसे ईमानदारी से लागू करने की। इससे देश में बढ़ते साइबर क्राइम पर रोक लगाई जा सकती है।
संजय मग्गू