इसी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के बादल मंडराने लगे हैं। सत्ता और विपक्ष दोनों ही अपने अपने तरीके से मतदाताओं तक अपनी पहुँच बनाने व उन्हें लुभाने का प्रयास करने लगे हैं। चुनावों से पूर्व जहाँ भाजपा अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की समय पूर्व प्राण प्रतिष्ठा करवाकर संभवत: आखिरी बार ‘राम’ के नाम पर वोट बटोरने की रणनीति अपना रही है, वहीं विपक्ष द्वारा देश के लगभग सभी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय विपक्षी दलों को एक नवगठित विपक्षी संगठन इंडिया के बैनर तले इकठ्ठा कर देश को विपक्ष के एकजुट होने का सन्देश देने की कोशिश की गयी है।
यहां यह बताने की जरूरत नहीं कि भाजपा अनेक धर्मगुरुओं यहां तक कि शंकराचार्यों के उच्चस्तरीय विरोध और आपत्ति के बावजूद अपने सभी सहयोगी व संरक्षक संगठनों के साथ व पूरे सरकारी सहयोग से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को इतना प्रचारित कर रही है ताकि विपक्ष की हर सत्ता विरोधी आवाज नक़्कार खाने में तूती की आवाज की तरह दब कर रह जाये।
उधर विपक्षी इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े घटक कांग्रेस के नेता राहुल गांधी इसी बीच 14 जनवरी से सुलगते हुए मणिपुर से अपनी दूसरे दौर की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकाल चुके हैं। इस बार वे मणिपुर से मुंबई तक 6,700 किमी से ज्यादा की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले हैं। कांग्रेस नेताओं के अनुसार राहुल गाँधी की यह यात्रा लोगों को आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक न्याय दिलाने तथा संविधान व लोकतंत्र पर मंडराते खतरे के प्रति देशवासियों को सचेत करने की यात्रा है।
66 दिनों की यह प्रस्तावित यात्रा 15 राज्यों के सौ लोकसभा क्षेत्र और 337 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी राहुल गांधी ने सितंबर 2022 से लेकर जनवरी 2023 तक कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की थी। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहली यात्रा से न केवल राहुल गांधी की छवि बेहतर हुई है बल्कि इससे उनका राजनीतिक कद भी बढ़ा था। इसलिए कांग्रेस ने यात्रा का दूसरा चरण शुरू करने का फैसला लिया है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार इंडिया गठबंधन के ही कई वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की इस मणिपुर-मुंबई भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तिथि व समय को लेकर सहमत नहीं हैं।
कांग्रेस की वर्तमान भारत जोड़ो न्याय यात्रा ऐसे वक़्त में हो रही है, जब 28 विपक्षी दलों के गठबंधन के नेताओं के बीच सीटों के बंटवारे तथा गठबंधन के चेहरे जैसे अति महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत जारी है। इनका कहना है कि चूँकि गठबंधन इन दिनों ‘सीट शेयरिंग’ जैसे नाजुक दौर से गुजर रहा है। ऐसे में राहुल गांधी व उनके साथ कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में व्यस्तता चिंता का विषय है।
कांग्रेस शायद सीट शेयरिंग के लिए होने वाली बैठकों से पूर्व ही इंडिया गठबंधन के कई प्रमुख घटकों की इस रणनीति का अंदाजा लगा चुकी है कि सभी छोटे व क्षेत्रीय दल, गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस पर ही दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। इसीलिए कांग्रेस गठबंधन के साथ अपना राष्ट्रीय जनाधार भी पूर्ववत बनाकर रखना चाह रही है। इधर राहुल गांधी विपरीत मौसम व परिस्थितियों में भी अथाह परिश्रम और जोखिम उठाकर कांग्रेस को पुन: उसका खोया हुआ जनाधार वापस दिलाने के लिए कृत संकल्प हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस में विश्वासघातियों द्वारा विश्वासघात किये जाने की खबरें आ रही हैं। पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने कांग्रेस त्याग दी।
वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए। इससे पूर्व भी ठीक इसी तरह की भारत जोड़ो यात्रा जब राहुल गाँधी ने 7 सितम्बर 2022 को कन्याकुमारी से कश्मीर के लिये आरम्भ की थी ठीक उसी समय 26 अगस्त 2022 को गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। यह महज एक इत्तेफाक है या कांग्रेस के विरुद्ध रची जाने वाली साजिश?
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
-तनवीर जाफरी