Monday, March 10, 2025
19.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiडंकी रूट से अमेरिका जाने वालों को ‘माया मिली न राम’

डंकी रूट से अमेरिका जाने वालों को ‘माया मिली न राम’

Google News
Google News

- Advertisement -


संजय मग्गू
पांच फरवरी को अमेरिका से 104 अवैध प्रवासी भारतीय अपने देश लौट आए। अमेरिकी वायु सेना का जहाज जब अमृतसर के श्री गुरु रामदास हवाई अड्डे पर उतरा, तो बाहर आने वाले लोगों ने अपने मुंह ढक रखे थे। शायद मुंह दिखाने में शर्मिंदगी महसूस हो रही होगी। जब दूसरे के देश में चोरों की तरह घुसे थे, तब भी यही महसूस होना चाहिए था इन लोगों को। यह कोई पहला मौका नहीं है, जब अमेरिका या यूरोप से अवैध प्रवासी भारतीयों को भारत भेजा गया है। पिछले पंद्रह-बीस सालों में हजारों अवैध प्रवासी भारतीय को डिपोर्ट किया जा चुका है। अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट ने 2018 से 2023 के बीच 5,477 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित हुआ। साल 2020 में एक साल में सर्वाधिक 2,300 भारतीयों को निर्वासन हुआ. 2024 में (सितंबर तक) 1,000 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से निर्वासित किया गया था। ओबामा के कार्यकाल के दौरान करीब 32 लाख लोगों को निर्वासित किया गया था। ट्रंप के पहले कार्यकाल में छह लाख लोगों को निर्वासित किया गया। हां, इस बार का तरीका थोड़ा अलग था। हाथ-पैर में हथकड़ी-बेड़ी डालकर शायद इससे पहले नहीं भेजा गया था। बेहतर कमाई की आस में डंकी रूट से अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसे देशों में जाने वाले भारतीयों को इसकी कम कीमत नहीं चुकानी पड़ती है। बिना वीजा, पासपोर्ट के जाने वाले ये भारतीय एक अच्छी खासी रकम खर्च करते हैं। कल जो लोग वापस आए हैं, उनके परिजनों ने उन्हें अमेरिका भेजने के लिए 35 से 45 लाख रुपये तक खर्च किए हैं। किसी ने घर बेचा है, तो किसी ने खेत। जब इतना पैसा ही खर्च करना था, तो जायज तरीके से जाते। पैसा भी बचता और इज्जत भी। सच कहा जाए, तो यह सीधा-सीधा मानव तस्करी का मामला है। पंजाब, हरियाणा, गुजरात, केरल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे तमाम राज्यों में ट्रैवल एजेंट अपना शिकार तलाशते हैं। विदेश जाकर अमीर हो जाने का सपना देखने वाले युवक  और उनके मां-बाप सबसे सॉफ्ट टारगेट होते हैं। मानव तस्करी करने वाले एजेंट कुछ इस तरह जाल बिछाते हैं कि ज्यादातर युवा इनके जाल में फंस जाते हैं। ऐसे युवक अगर भाग्यशाली हुए, तो अपने लक्षित देश में पहुंच जाते हैं। भाग्य खराब रहा, तो रास्ते में ही मारे जाते हैं। अपने लक्ष्य तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। अब अवैध आप्रवासन का मुद्दा गरमा रहा है, ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकार को ट्रैवल एजेंट बनकर मानव तस्करी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। पूरे देश में इनके खिलाफ मुहिम चलनी चाहिए, ताकि देश के लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ न हो सके। वैसे ऐसे युवाओं के परिजनों को सोचना चाहिए कि जब वह 40-50 लाख रुपये खर्च करके अवैध तरीके से विदेश भेजने की कूबत रखते हैं, तो इसी रकम से अपने देश में ही कोई रोजगार शुरू किया जा सकता है। डंकी रूट से अमेरिका जाने वालों को माया मिली न राम।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments