यदि व्यक्ति हिम्मत न हारे, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। बार-बार प्रयास करके वह हारी हुई बाजी भी जीत सकता है। इसके साबसे बड़ा उदाहरण स्काटलैंड का शासक राबर्ट प्रथम है जिन्हें राबर्ट द ब्रूस भी कहा जाता है। वैसे इनके बचपन के बारे में बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। लेकिन राबर्ट प्रथम ने सन 1306 में स्काटलैंड की गद्दी संभाली थी। इनके गद्दी संभालते ही एडवर्ड प्रथम की सेना ने उनके राज्य पर हमला कर दिया। ब्रूस युद्ध में हार गए। अपनी जान बचाने के लिए उन्हें भागना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
अपनी सेना को एक बार फिर संगठित किया और एडवर्ड प्रथम पर हमला कर दिया, लेकिन इस बार भी हार गए। ऐसा चौदह बार हुआ। उनके सैनिक भी कहने लगे कि ब्रूस के भाग्य में सब कुछ है, लेकिन विजय नहीं। सैनिकों ने भी उनका साथ छोड़ दिया। हताश निराश ब्रूस ने एक गुफा में शरण ली। वह गुफा में बैठकर आगे की योजना बना रहे थे कि तभी उनकी निगाह एक मकड़ी पर गई। मकड़ी हवा में उड़कर एक टहनी से दूसरी टहनी पर जाला बुनने का प्रयास कर रही थी। हर बार जाला टूट जाता था। इक्कीसवें प्रयास के बाद उसे सफलता मिल गई।
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यह देखकर उसके मुंह से निकला, अरे, मेरे पास तो अभी सात अवसर बाकी हैं। इसके बाद उसने नए जोश के साथ अपनी सेना को फिर संगठित किया और एडवर्ड प्रथम पर विजय प्राप्त की। इसके बाद उसने अपने सभी विरोधियों का परास्त किया और एक बहुत बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया। उसने सम्राट की उपाधि धारण की। उसने सन 1329 तक अकंटक राज्य किया। उसने पूरे यूरोप में लगातार प्रयास करके सफलता प्राप्त करने का एक नायाब उदाहरण पेश किया जिसे आज भी याद किया जाता है।
-अशोक मिश्र
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