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‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ के मंत्र से साइबर अपराधियों को दें जवाब

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संजय मग्गू
साइबर अपराध की दुनिया में पिछले दो-तीन साल में एक नया शब्द जुड़ा है डिजिटल अरेस्ट। देश में डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी चिंता जता चुके हैं। पीएम मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी लोगों को चेतावनी दे चुके हैं कि केंद्र या प्रदेश सरकार का कोई सीबीआई, आयकर, पुलिस या किसी अन्य सरकारी विभाग का अधिकारी या कर्मचारी फोन पर किसी भी प्रकार की धमकी नहीं देता है। इससे बचने के लिए उन्होंने ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र भी दिया। इन डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। फरीदाबाद में केंद्रीय श्रम मंत्रालय से सेवानिवृत्त महिला अधिकारी को 18 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके 40 लाख रुपये ठग लिए गए। घटना पिछले साल के नवंबर महीने की है। आरोपियों ने अपने आप को ट्राई यानी भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण का अधिकारी बताते हुए कहा कि मुंबई में उनके आधार कार्ड से केनरा बैंक में खाता खुला है जिसमें से अवैध रूप से रुपये का भुगतान और निकासी की जा रही है। इसके बाद बुजुर्ग सेवानिवृत्त अधिकारी 18 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रही। वह आरोपियों के धमकाने से इतना डर गई थी कि वह किसी अपनी बात बता भी नहीं पाई। डिजिटल अरेस्ट करने वालों ने ह्वाट्सएप पर गिरफ्तारी वारंट और अन्य कागजात भेजा था जिसके चलते पीड़िता की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे। 18 दिन बाद संयोग से आरोपियों का माइक खुला रह जाने से उसे पता चला कि वह साइबर अपराधियों द्वारा ठगी गई है। सेवानिवृत्त महिला अधिकारी ने अपनी जमीन बेचकर चालीस लाख रुपये बैंक में जमा किए थे ताकि वह अपनी बेटी का भविष्य उज्जवल बना सके। उसे इतना बड़ा सदमा लगा था कि उसे मनोचिकित्सक के पास जाना पड़ा और उसने अब ठगने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब विभिन्न माध्यमों से बार-बार लोगों को बताया जा रहा है कि कोई भी अधिकारी किसी भी मामले में फोन पर धमकी या गिरफ्तारी का संदेश नहीं देता है, तो फिर लोग ऐसे झांसे में कैसे आ जाते हैं। हरियाणा में ज्यादातर डिजिटल अरेस्ट के मामले उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जो आर्थिक रूप से थोड़ा मजबूत हैं। अपराधी पहले से ही सारी व्यक्तिगत जानकारी हासिल कर लेते हैं, तभी वे अपने टॉरगेट पर हाथ डालते हैं। महिलाएँ उनके लिए सॉफ्ट टारगेट होती हैं। यदि किसी के पास इस तरह का फोन आए तो सबसे पहले पीएम मोदी का मंत्र अपनाएं और डिजिटल अरेस्ट वालों को मुंह तोड़ जवाब दें। यदि मुंहतोड़ जवाब देने का सिलसिला शुरू हो गया, तो अपराधियों के हौसले पस्त हो जाएंगे।

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