Friday, February 28, 2025
21.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiनया वर्ल्ड आॅर्डर बनाने की फिराक में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप

नया वर्ल्ड आॅर्डर बनाने की फिराक में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप

Google News
Google News

- Advertisement -


संजय मग्गू
यूक्रेन उन देशों के लिए एक सबक है जो वैश्विक महाशक्तियों के आगे पीछे घूमने में ही अपना भला समझते हैं। एक महीने पहले तक यूक्रेन के समर्थन में खड़ा अमेरिका आज रूस के साथ है। उसने यूक्रेन को असहाय अवस्था में छोड़ दिया है। तीन साल पहले शुरू हुए यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन अपना बीस फीसदी से अधिक भूभाग गंवा चुका है। युद्ध के दौरान रूस द्वारा हड़पा गया भूभाग अब शायद उसे मिलने वाला नहीं है। उसके दसियों हजार लोग इस युद्ध में मारे जा चुके हैं। लाखों लोग देश छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले चुके हैं। देश की पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप धमकी दे चुके हैं कि अमेरिका ने युद्ध के दौरान जितनी भी आर्थिक मदद की है, वह वसूली जाएगी। उसके बदले यूक्रेन अपने देश की अमूल्य खनिज उसे दे। रूस-यूक्रेन युद्ध की तीसरी बरसी पर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में रूसी हमले के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव लाया गया था जिस बेलारूस, उत्तरी कोरिया, सूडान आदि के साथ अमेरिका ने रूस का पक्ष लिया। वहीं ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान आदि देशों ने रूस का विरोध किया। भारत और चीन ने वोटिंग में भाग ही नहीं लिया। ऐसी स्थिति में दुनिया भर के देश यह सोचने पर मजबूर हो रहे हैं कि यह आखिर हो क्या रहा है? दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अब नया वर्ल्ड आर्डर तय कर रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जहां विभिन्न परिस्थितियों के चलते पूरी दुनिया में दो खेमे में बंट गई थी। रूस और अमेरिका दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी खेमे में खड़े नजर आ रहे थे, दोनों एक दूसरे को फूटी आंखों से नहीं देखना चाह रहे थे, वही रूस और अमेरिका अब एक दूसरे के दोस्त बनने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका पारंपरिक दोस्त अब उसे शंका की निगाह से देख रहे हैं। नाटो देशों का अब अमेरिका पर विश्वास घटता जा रहा है। ट्रंप को पता नहीं क्यों यह लगने लगा है कि रूस का विरोध करने से अमेरिका को नुकसान हो रहा है। एक व्यापारी की तरह वह अपना नुकसान कम करने या बिल्कुल खत्म करने के लिए उन्हें अब रूस के साथ की जरूरत महसूस हो रही है। वहीं रूस को भी यह लगता है कि अमेरिका के उसके साथ आ जाने से नाटो देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध ढीले पड़ेंगे और वह फिर अपना माल स्वतंत्र रूप से बेचने को आजाद होगा। वैश्विक बाजार में वह अपने उत्पाद को लेकर मोलभाव करने की स्थिति में होगा। राष्ट्रपति बनने से पहले और उसके बाद भी ट्रंप ने चीन को लेकर जो उत्साह दिखाया है, वह भारत के लिए चिंताजनक जरूर हो सकता है। भारत और चीन दोनों रूस के मित्र हैं। अमेरिका के चीन के साथ आने पर रूस को वैसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन भारत को इस मामले में जरूर फर्क पड़ता दिखाई दे रहा है। जिस तरह ट्रंप चीन को तवज्जो दे रहे हैं, उससे भारत को अपना हित जरूर देखना पड़ेगा। वैसे भारत अब तक अपना हित जरूर देखता आया है।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments