देश रोज़ाना: मोदी की गारंटी के दम पर भाजपा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भगवा रंग में रंग गयी। सियासत का सिंकदर एक बर फिर बनकर मोदी उभरे। अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विष्णु देव साय और भजन शर्मा किस तरह अपने प्रदेश में अच्छे दिन लाते हैं। इसलिए कि इनके सामने चुनौतियों का पहाड़ है। खास कर तीनों राज्यों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। मध्य प्रदेश पर सन 2019 में 195178 करोड़ कर्ज था जो 2023 में बढ़कर 378617 करोड़ हो गया है। यानी प्रति व्यक्ति कर्ज 43731 रुपये है। प्रति व्यक्ति आय 140583 रुपये है। राजस्थान पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया। सन 2019 में 31184 करोड़ था जो सन 2023 में बढ़कर 537012 करोड़ हो गया। प्रति व्यक्ति ऋण 66277 रुपए है। प्रति व्यक्ति आय 156149 रुपये है। छत्तीसगढ़ पर सन 2019 में 68988 करोड़ रुपये का कर्ज था जो सन 2023 में बढ़कर 118166 करोड़ हो गया। प्रति व्यक्ति पर ऋण 39154 रुपये और आय 133898 रुपये है। तीनों राज्यों में डबल इंजन की सरकार है। रेवड़ी किस राज्य पर भारी होगी यह बड़ा सवाल है। साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी भी।
तीनों राज्यों में बने मुख्यमंत्री के पास अनुभव की कमी है। ऐसी स्थिति में राज्य की पस्त माली हालत को बगैर केन्द्र की मदद से बेहतर करना राज्य सरकारों के सामने विकट समस्या है। संसाधन स्वयं के दम पर जुटाने होंगे। चूंकि बीजेपी के संकल्प पत्र में ऐसे कई वादे हैं और मोदी की गारंटी हैं, जो बीजेपी शासित राज्यों के समक्ष चुनौती है। लोकसभा से पहले इन्हें पूरा करना। इसलिए कि तीनों मुख्यमंत्रियों के सामने 2024 का विजन है। मध्य प्रदेश में शिवराज की लोकप्रियता बहुत है। उनके साथ कोई विवाद नहीं रहा। वो जनता के नेता है। उन्हें सत्ता का घमंड कभी नहीं रहा और यह भी जताने की कभी कोशिश नहीं किया कि प्रदेश में जो भी है वो उनके दम की वजह से है। हमेशा वे संगठन को लेकर चले। वो आज मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन बहनों के दिलों में वो बरसों तक रहेंगे। वहीं उनकी लोकप्रियता का भी सामना करते हुए डॉ. मोहन यादव को अपनी लकीर खींचनी है।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनते ही वोटर कहना शुरू कर दिया है कि कौन सा वादे पहले पूरा होना चाहिए। किसान चाहता है, कि रमन सरकार के समय का दो साल का लंबित बोनस उसे जल्द मिल जाए। प्रधान मंत्री आवास के तहत 18 लाख लोगों को छत मिल जाए। महिलाएं चाहती हैं, कि हर महीने महतारी योजना के तहत एक-एक हजार रुपए उनके खाते में आ जाएं। किसानों को धान का समर्थन मूल्य पर 3200 रुपए प्रति क्विंटल मिल जाए।चूंकि प्रदेश में धान खरीदी एक नम्वंबर से चल रही है। तेंदूपत्ता भी 5500 रुपए प्रति बोरा की राशि मिलने लगे। मुफ्त इलाज दस लाख रुपए और गरीबों को सिलेंडर 500 रुपए में चाहिए। भूमिहीन मजूदूरों को सालाना दस हजार रुपए देना। भाजपा की सरकार पूरे पांच साल रहेगी और एक साथ अपने संकल्प पत्र के वादे को पूरा करेगी, इसकी संभावना कम है। ऐसा हुआ तो विपक्ष सरकार को सड़क से विधान सभा तक घेरेगी।
समाजिक और आर्थिक आंकड़ों को एक तरफ रखकर इस बार चुनाव की नयी परिभाषा मोदी की गारंटी के रूप में सामने आई। राजस्थान में रोटी बदलने का वैसे भी रिवाज है। लेकिन बदलाव की सत्ता जिस तरह मोदी की गारंटी ने लिखी,उसे चुनौती नहीं दी जा सकती। लेकिन राजस्थान में इस बार गहलोत सरकार की उपलब्धि को दरकिनार करते हुए भाजपा ने केवल जाति और संस्कृति के गणित को ही समाने नहीं रखा, बल्कि विकास के सिद्धांत को भी रखा। लोगों की जरूरतों को अहमियत दी। जनता की सेवा करने वाली सरकार बताने के लिए संकल्प पत्र में ऐसे कई वादों को जोड़ा गया है, जो मुख्यमंत्री भजन शर्मा के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)
- रमेश कुमार ‘रिपु’