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Editorial: कोटा का सबक और योगी का अभ्युदय मॉडल

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देश रोज़ाना: राजस्थान के कोटा में चल रहे कोचिंग संस्थान इन दिनों काफी चर्चा में हैं। यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आने वाले छात्रों में उच्च वर्गीय पृष्ठभूमि से आने वाले छात्र-छात्राओं की तुलना में मध्य और निम्न-मध्य वर्ग के छात्रों की संख्या अधिक है। कोटा के कोचिंग संस्थान अब नाबालिग छात्रों के लिए आत्महत्याओं का हब बन रहे हैं। ऐसा कदम उठाने वाले छात्रों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र राज्यों के छात्रों की संख्या तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। इसके उलट उत्तर प्रदेश में संचालित मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना है जहां कमजोर व गरीब बच्चों के लिए नि:शुल्क उच्चस्तरीय कोचिंग व्यवस्था है।

यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वे खुद इसके क्रियान्वयन में दिलचस्पी लेते हैं। आज इस योजना के तहत अनेक छात्र बिना कोई शुल्क और बिना किसी दबाव के इस कोचिंग के जरिए उच्च सफलता प्राप्त कर रहे हैं। इस योजना का शुभारंभ छह फरवरी 2021 को उत्तर प्रदेश की स्थापना के दिन हुआ था। खासतौर पर यह योजना कमजोर आर्थिक परिवेश के अभ्यर्थियों की कोचिंग सहायता के लिए अधिक है। पिछले ढाई साल में 15 हजार से अधिक अभ्यर्थी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में सफल होकर सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर हैं। अभ्युदय योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर 132 से अधिक छात्रों ने पीसीएस, आईपीएस औा आईआइ्रटी जैसी कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में बिना किसी मानसिक दबाव के सफलता प्राप्त की है।

कोटा की बात करें तो हाल में वहां नाबालिग छात्रों में लगातार आत्मघाती रुझान को देखते हुए मुंबई के डॉ. अनिरुद्ध नारायण मालपानी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। उन्होंने कोटा में छात्रों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति के मद्देनजर वहां तेजी से बढ़ते कोचिंग संस्थानों के नियमन की मांग की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि प्रतिस्पर्धा और प्रतियोगी परीक्षाओं की कठिन तैयारी करने वाले बच्चों पर माता-पिता का दबाव बहुत अधिक है। इसी दबाव के चलते उनमें आत्मघाती रुझान देखने को मिल रहा है। उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब कोटा लगातार कोचिंग हब के साथ-साथ आत्महत्याओं का हब भी बन रहा है। हैरत की बात है कि इस साल 16 से 19 साल के 25 से अधिक छात्र कड़ी प्रतिस्पर्धा का दबाव न झेलने के कारण आत्मघाती निराशा के शिकार हुए।

आज कोटा में लगभग छोटे-बड़े 200 कोचिंग संस्थान हैं। ढाई लाख से भी अधिक छात्र इन संस्थानों में नीट व जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। कोटा में रहने के लिए 400 से अधिक हॉस्टल हैं। दूर-दराज क्षेत्रों से आए छात्र अकेले इन कमरों में बंद होकर रह जाते हैं। परिवारों की कमजोर आर्थिक स्थिति को लेकर भी ये छात्र बहुत दबाव में रहते हैं।

उत्तर प्रदेश की अभ्युदय योजना भी कोंचिंग देने वाली सरकारी योजना है। मगर फर्क यह है कि यहां कमजोर आर्थिक स्थिति वाले छात्रों को आईएएस, आईपीएस, एनडीएस, सीडीएस व नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी निशुल्क कराई जाती है। इस योजना में छात्रों के लिए अग्रणी कोचिंग संस्थानों से जुड़ी अध्ययन सामग्री भी निशुल्क उपलब्ध है। इस योजना की खास बात यह है कि यह प्रदेश के 18 मंडल मुख्यालयों पर स्थापित विश्वविद्यालयों अथवा वहां के उच्च शिक्षा से जुड़े साधन-संपन्न कॉलेजों में चलाई जा रही है। साथ ही विशेषज्ञों के रूप में वहां के अनुभवी आचार्यों के साथ में उस मुख्यालय से जुड़े वरिष्ठ आईएएस व पीसीएस कैडर के अधिकारी भी कोचिगं देने के लिए उपलब्ध रहते हैं। इससे छात्रों को कोचिंग में विषय की विशेषज्ञता ही हासिल नहीं होती,बल्कि उन्हें परीक्षा और साक्षात्कार जैसी प्रक्रियाओं में सफल होने के टिप्स भी आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)

डॉ. विशेष गुप्ता

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