देश रोज़ाना: शिक्षा से ही प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से अज्ञानता, अंधविश्वास एवं रूढ़िवादी सोच दूर होती है। व्यक्ति में वैज्ञानिक सोच और भौतिक, अभौतिक, विज्ञान आदि का सम्यक ज्ञान से जीवन खुशहाल होता है। शिक्षित व्यक्ति ही अच्छाई और बुराई में फर्क समझ सकता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि शिक्षा का सर्वप्रथम उद्देश्य है व्यक्ति का चरित्र निर्माण, सजग नागरिक बनाना एवं सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना है। पूरे देश में शिक्षा में सुधार के लिए अलग-अलग राज्यों की सरकारें काम कर रही हैं। बुनियादी संरचना जैसे-भवन निर्माण, स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल का मैदान आदि की व्यवस्था दुरुस्त करने में सरकारी मशीनरी लगी रहती है। वहीं छात्रों के सर्वांगीण विकास व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रयास तो हो रहे हैं लेकिन धरातल पर कम दिख रहा है।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पारु प्रखण्ड के अन्तर्गत राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धरफरी में वर्ग 9वीं में 589, 10वीं में 679, 11वीं में 336 और 12वीं में 323 बच्चे नामांकित हैं। विद्यार्थियों की कुल संख्या 1927 है। लेकिन इस विद्यालय में भवन व डेस्क-बेंच का अभाव है। इस बाबत विद्यालय प्रभारी मनोज कुमार ने बताया कि केवल चार कमरे होने की वजह से बच्चों का शिक्षण कार्य करने में काफी दिक्कत हो रही है। विद्यालय में संकायवार शिक्षक केवल नवम-दशम वर्ग के छात्रों को पढाने के लिए ही उपलब्ध हैं। हाल ही में दो अतिथि शिक्षक गणित और अंग्रेजी के बहाल हुए हैं। 1927 छात्रों में लगभग 600 के लिए कमरा, डेस्क-बेंच आदि की व्यवस्था है। जिस दिन इससे अधिक छात्र आ जाते हैं उस वक्त बच्चों को बरामदे पर चटाई अथवा तिरपाल बिछा कर बैठने की नौबत आ जाती है।
पेयजल की उपलब्धता समेत शौचालय की भी पूरी व्यवस्था नहीं रहने के कारण लड़कियों को परेशानी होती है। प्रयोगशाला व पुस्तकालय नहीं रहने की वजह से छात्रों को समुचित ज्ञान नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर शिक्षकों की कमी की वजह से विषयवार कक्षाएं संचालित नहीं हो पा रही हैं। इस संबंध में, पारू प्रखंड के अंतर्गत उच्च माध्यमिक विद्यालय चांदकेवारी के प्रधानाध्यापक जयराम साह बताते हैं कि विद्यालय में क्लासरूम की कमी नहीं है। लेकिन फिर भी इंटरमीडिएट की पढ़ाई को सुचारू ढंग से चलाना मुश्किल है क्योंकि यहां उच्चतर माध्यमिक के एक भी विषय के शिक्षक नियुक्त नहीं हैं। ऐसे में बच्चों का अनुपस्थित होना लाजिम है। यहां कुल नामांकित 799 बच्चों का भविष्य 14 शिक्षकों के भरोसे है।
वहीं जिले के साहेबगंज प्रखण्ड स्थित हुस्सेपुर दोबंधा में संचालित मध्य विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालय में केवल कक्षा 1 से 5 तक के ही शिक्षक हैं। दूसरी ओर विद्यालय को अपग्रेड करते हुए 11-12वीं के लिए कोड आवंटित किया जा चुका है। विद्यालय में 337 छात्र-छात्राओं का नामांकन है। वर्ग 9-10वीं में 120 छात्रों का नामांकन है। वहीं इंटरमीडिएट में 62 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। लेकिन शिक्षकों के अभाव के कारण पठन-पाठन बिल्कुल ठप हैं। इस स्कूल के एक शिक्षक मनोज कुमार ने बताया कि प्राइमरी शिक्षक के भरोसे उच्चतर माध्यमिक व माध्यमिक छात्रों का भविष्य है। वहीं प्रधानाध्यापक उमाशंकर सिंह बताते हैं कि इस विद्यालय में किसी भी चीज की कमी नहीं है, अच्छे भवन हैं, छात्र-छात्राओं के लिए सभी बुनियादी सुविधाएं हैं, केवल शिक्षकों की कमी है। जो सबसे बड़ी बाधा है।
शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि सरकार की यह कवायद मील का पत्थर साबित हो रहा है। कुछ ऐसे भी शिक्षक थे जो साल में एक दो बार विद्यालय आते थे। आज वैसे शिक्षकों पर नकेल कसता नजर आ रहा है। जिले के स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक है, तो शिक्षकों की भारी कमी है। शिक्षा विभाग को तत्काल बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करनी होगी। शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षण भी समय-समय पर आवश्यक है। (चरखा) (यह लेखक के निजी विचार हैं।)
– फूलदेव पटेल