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Editorial: राज्य सरकारें महिला मुद्दे पर दिखाएं गंभीरता

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देश रोज़ाना: महिलाओं का जीवन परिवेशगत कारकों से सबसे अधिक प्रभावित होता है। यही वजह है कि तीन राज्यों में महिला मतदाताओं के झुकाव को समझने की कवायद केवल राजनीतिक विश्लेषण का विषय भर नहीं है। जीवनयापन से जुड़ी सहजता देती योजनाओं और नीतियों के अलावा सम्मान और सुरक्षा महिलाओं के लिए सबसे अहम मुद्दा है। गांव-कस्बा हो या महानगर, सुरक्षित हालात में जीवन की जद्दोजहद न केवल कम हो जाती है बल्कि बेहतरी की ओर बढ़ने की राहें भी खुलती हैं।

हाल ही में आए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कहीं न कहीं राजनीतिक परिवेश से जोड़कर देखे जा सकते हैं। एनसीआरबी की इस ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2021 की तुलना में महिला अपराधों में चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। तकलीफदेह स्थितियों को सामने रखते इन आंकड़ों में राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है। बीते साल में दिल्ली में एक दिन में दुष्कर्म के तीन मामले दर्ज किए गए।

रिपोर्ट में बताया कि 2022 में देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के कुल चार लाख 45 हजार 256 मामले दर्ज किए गए। यानी हर घंटे लगभग 51 प्राथमिकी हुई। ध्यातव्य है कि 2021 में यह आंकड़ा चार लाख 28 हजार 278 था। पिछले वर्ष प्रति एक लाख की आबादी में महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दर 66.4 प्रतिशत रही। बच्चों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। गौरतलब है कि इस साल दिल्ली में ही महिलाओं के खिलाफ अपराध के 14,247 मामले सामने आए।

तकनीकी तरक्की के इस दौर में दुखद यह भी है कि साइबर अपराध के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई। चिंतित करते एनसीआरबी के इन आंकड़ों के अनुसार देश में हर दिन 78 हत्याएं हुई हैं। हिंसा का यह सच समाज और कानून व्यवस्था की स्थिति पर एक साझी टिप्पणी है। बड़ी बात यह है कि इस हिंसा और उत्पीड़न के एक छोर पर महिलाएं हैं, उनका असुरक्षित परिवेश है। इन दिनों जब देश में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों को लेकर चर्चा हो रही है। इसमें यह समझना आवश्यक है कि देश की आधी आबादी क्या चाहती है? महिलाओं की प्राथमिकता क्या है?

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान इन पांच राज्यों में हत्या के 43.92 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में अव्वल रहे इन राज्यों में से दो राज्यों में महिला मतदाताओं में नई सरकार चुनने में अहम भूमिका निभाई है। मध्य प्रदेश में मौजूदा शासन व्यवस्था को समर्थन देने की बात हो कि राजस्थान में सरकार बदलने की, महिला वोटरों ने अपनी मुखरता मजबूती से दर्ज कराई है। ऐसे में बड़ी दरकार यह है कि राज्यों में बन रही नई सरकारें अपराध के बढ़ते आंकड़ों को गंभीरता से लें।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में जागरूक नागरिक के तौर पर दर्ज करवाने वाली महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को देने के सर्वश्रेष्ठ तरीका यही है कि उनके लिए सुरक्षित परिवेश बनाया जाए। घर हो या बाहर, अपने दायित्वबोध को समझती महिलाओं के हिस्से भी सहजता और सम्मान की स्थितियां आएं। कहना गलत नहीं होगा कि महिलाओं के प्रति आपराधिक मानसिकता रखने वाले अपनों-परायों का बढ़ता दुस्साहस कानूनी रूप से तो अपराध है ही, इंसानी लिहाज से भी यह चिंतनीय और शर्मनाक है।

तकलीफदेह है कि साल-दर-साल न केवल महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े बढ़ रहे हैं बल्कि आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के पीछे नये कारण भी जुड़ रहे हैं। तकनीकी विकास के इस दौर में महिलाओं के मान को ठेस पहुंचाने वाले नये तरीके ढूंढ लिए गए हैं। (यह लेखिका के निजी विचार हैं।)

  • डॉ. मोनिका शर्मा
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