इस समय राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव की तैयारी चल रहीं हैं। अयोध्या सज रही है। पूरी दुनिया इस भव्य आयोजन को निहारने का आतुर है। दुनिया भर में बसे हिंदुओं के लिए यह गौरव का पल है। मुस्लिम काल से अब तक उनके पूर्वजमंदिर टूटते देखते आए हैं। यह हिंदुओं की वह पीढ़ी है जो विदेशी आक्रांता द्वारा अयोध्या में बनाई मस्जिद की जगह मंदिर बनता देख रही है। अयोध्या को सजता निहार रही है। उसे इंतजार है उस पल का जब इस मंदिर का 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। इस मंदिर निर्माण और मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के माध्यम से विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ विश्व के हिंदुओं को आपस में जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
उसका प्रयास है कि छोटी-मोटी आस्थाओं में फंसे हिंदू राम के नाम पर एक हों। अलग-अलग जाति और संप्रदाय में बंटे सब हिंदू भगवान राम को अपना आदर्श स्वीकारें। एकजुट रहें। आरएसएस और संघ से जुड़े संगठनों ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए देशभर में 10 करोड़ से अधिक परिवारों को निमंत्रण देने की योजना बनाई है। उनका कहा कि हम भगवान श्रीराम के 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटने की खुशी में दिवाली मनाते हैं। आगामी 22 जनवरी को तो वह दूसरी दीपावली होगी, जब भगवान राम 500 वर्षों के बाद, भारत की स्वतंत्रता की अमृतवेला में अपने जन्म-स्थान पर लौटेंगे।
विहिप ने यह भी कहा कि 1984 से चले मुक्ति अभियान में लाखों हिंदुओं की सहभागिता रही है। अनेक मुक्ति योद्धा बलिदान भी हुए हैं या अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके भी परिवार, उनके स्वप्न की इस पूर्ति को देखना चाहते हैं। विहिप ने देश को 45 भागों में बांटकर प्रत्येक भाग के लिए 27 जनवरी से 22 फरवरी के बीच में उस भाग के लिए निश्चित दिन अयोध्या पधारने का निवेदन किया है। ऐसे लगभग एक लाख लोगों के दर्शनों की व्यवस्था की गई है।
विहिप ने यह भी आह्वान किया कि 22 जनवरी की पुण्यरात्रि को प्रत्येक हिंदू परिवार कम से कम पांच दीपक अवश्य जलाएं और उसके बाद किसी भी दिवस को सपरिवार, ईष्ट-मित्रों सहित अयोध्या दर्शन हेतु पधारें। विश्व हिंदू परिषद को विश्वास है कि भगवान राम का यह मंदिर विश्व में हिंदुओं में समरसता, एकत्व व आत्म गौरव का संचार करेगा और भारत को परम वैभव की ओर ले जाने के लिए एक राष्ट्र मंदिर बन कर उभरेगा।
इसी के अनुपालन में विहप और संघ के कार्यकर्ता ढोलक घंटे और घडियाल बजाते, राम भजन गाते घर-घर जा रहे हैं। उन्हें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण के लिए पीले चावल और निमंत्रण पत्रक भेंट कर रहे हैं। उनसे कह रहे हैं कि 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने घर और आसपास के मंदिर को सजाएं। दीप जलाएं। दीपावली मनाएं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण देखें।
भगवान राम ने उत्तर से दक्षिण तक पूरे देश को एकजुट करने का बड़ा कार्य किया था। सीताहरण के बाद उत्तर से लेकर दक्षिण तक के सर्व समाज को अपने साथ जोड़ा था। दक्षिण के आदिवासी, वनवासी, पिछड़े गुफाओं में रहने वाले भील आदि को अपने साथ लिया था। उन्होंने देश का एकीकरण के लिए बड़ा काम किया किंतु कुछ हिंदुओं के के प्रयास से वह आगे नहीं चला। हमने राम के साथ युद्ध के साथी रहे आदिवासी, वनवासी, भील और अन्यों का बंदर, भालू कहकर उपहास उड़ाया। उन्हें समानता और बराबरी का दर्जा नहीं दिया। काश भगवान राम का मन्तव्य समझकर उसे आगे बढ़ाया गया होता तो देश उत्तर दक्षिण में ना बंटा होता।
उस पुरानी गलती को विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अब दूर करने में लगा हैं। राम मंदिर के लिए सभी ने बलिदान दिया है, चाहे वह सिख हो, जैन हो या बौद्ध, वाल्मीकि हो या दलित। भगवान राम सभी हिंदुओं के आदर्श और पूज्य रहे हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
-अशोक मधुप